उदय सिंह पिंडारी के निधन से खाली हुआ था पद
(ब्यूरो रिपोर्ट)
उरई (जालौन)।उत्तर प्रदेश के जालौन जनपद में मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष बृजभूषण सिंह जेडीसी बैंक के निविर्रोध सभापति बन गए हैं। उन्हें जीत का सर्टिफिकेट चुनाव अधिकारी एडीएम न्यायिक मोतीलाल यादव ने दिया तो समथर्कों ने उन्हें फूल मालायें पहनाकर स्वागत किया। गौरतलब हो कि जनपद की राजनीति में लंबे समय से वनवास काट रहे बृजभूषण सिंह ने इस बात के लिए भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को धन्यवाद दिया। बृजभूषण सिंह पूर्व मंत्री स्व. बाबूराम दादा के करीबी रहे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार शायद यही उनके राजनीतिक वनवास का कारण बना। इससे पहले वह जेडीसी बैंक में बतौर डायरेक्टर चुने गये थे। उनको जेडीसी बैंक का सभापति बनाने के लिये 11 सदस्यों ने ध्वनि मत से प्रस्ताव पारित किया था। जेडीसी बैंक के सभापति रहे उदय सिंह पिंडारी लंबे समय से कैंसर से पीड़ित थे, उनके अचानक निधन की वजह से यह पद खाली हुआ था।

बृजभूषण सिंह का राजनीतिक सफर एक नजर में—-
बृजभूषण सिंह ने भी अपनी राजनीति की शुरुआत राजनीति की पाठशाला कहे जाने वाले डीवीसी कालेज उरई में छात्र जीवन में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की विचारधारा से प्रेरित होकर छात्र संगठन से जुड़कर शुरू की थी। उसके बाद वह भाजपा युवा मोर्चा में जिला महामंत्री रहे। फिर भाजपा जिला महामंत्री का लगातार दो बार कायर्काल पूरा किया। इसके बाद भारतीय जनता पार्टी के जिला उपाध्यक्ष रहे। उन्हें वर्ष 2000-2001 में भारतीय जनता पार्टी ने जिलाध्यक्ष बनाया था। यह वह दौर था जब समूचे बुंदेलखंड में स्व. बाबूराम एमकाॅम को राजनीति का चाणक्य कहा जाता था।
पार्टी के प्रत्येक कार्यकर्ता के लिये चैबीस घंटे खुले दरवाजे
जेडीसी बैंक के सभापति बनने के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान बृजभूषण सिंह का कहना था कि पार्टी कायर्कतार्ओं के लिए मेरे दरवाजे हर समय खुले है और उनके सम्मान की रक्षा करना का हर संभव प्रयास करूंगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि राजनीति करना अलग विषय है लेकिन पार्टी कायर्कतार्ओं के सुख दुख में साथ देना अलग विषय हो सकता है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के करीबी माने जाते बृजभूषण
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ब्रजभूषण सिंह को केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का करीबी माना जाता है और केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के करीबी होने का लाभ बृजभूषण सिंह को मिला। भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ता बताते है कि राजनाथ सिंह जब प्रदेश के मुख्यमंत्री थे उसी दौराने बृजभूषण सिंह की राजनाथ सिंह से करीबियां शुरू हो गई थी। इसका श्रेय भी स्वयं बृजभूषण पूर्व मंत्री बाबूराम दादा को ही देते थे। इसके इतर पार्टी से जुड़े बुद्धजीवी यह भी बताते है कि केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह से करीबी होने का ही नतीजा है कि भाजपा ने लगभग डेढ़ दशक से बृजभूषण को दरकिनार कर रखा था।
मित्रता की कसौटी पर हमेशा बृजभूषण उतरे खरे
हमारे स्थानीय सहयोगी के अनुसार कुछ दिनों पहले ही भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह आरोपों के घेरे में आए थे। पूर्व ब्लाक प्रमुख समर सिंह चैहान उफर् गुड्डू महेवा ने आरोप लगाया था कि उनके भतीजे शिवा की मृत्यु में स्वतंत्र देव सिंह का हाथ है और कायर्वाही की मांग करते हुए वह कालपी कोतवाली में धरने पर बैठ गए थे। इस विषय में बृज भूषण सिंह मुन्नू की पैरवी के बाद मामला शांत हुआ था व पूर्व ब्लाक प्रमुख ने अपना धरना समाप्त कर दिया था। बतौर बृजभूषण बड़े गर्व के साथ कहते है कि मैं स्वतंत्र देव सिंह का मित्र हूं।
जिलाध्यक्ष रहते हुए भाजपा को 3 विधानसभा सीटें जिताई थी
वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में भाजपा से उरई विधानसभा से चुनाव लड़े बाबूराम दादा ने जीत दर्ज की थी, वहीं कालपी से भाजपा प्रत्याशी अरुण कुमार मेहरोत्रा ने जीत का परचम लहराया था जबकि कोंच विधानसभा से भाजपा के सिंबल पर मैदान में उतरे दयाशंकर वर्मा ने जीत दर्ज की थी। इसके पीछे की रूपरेखा का सूत्रधार बृजभूषण सिंह को बताया जाता है उस समय वो भाजपा जिलाध्यक्ष के पद पर आसीन थे।
सदर विधायक गौरीशंकर वर्मा ने दी बधाई
