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गृहमंत्री अमित शाह ने किया इफको डीएपी संयंत्र का भूमिपूजन व शिलान्यास,, सम्बोधन में कही यह बात

Home Minister Amit Shah performed Bhumi Pujan and laid the foundation stone of IFFCO DAP plant, said this in his address

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शनिवार को गुजरात के गांधीधाम में इफको नैनो डीएपी (तरल) संयंत्र का भूमिपूजन एवं शिलान्यास किया। इस अवसर पर इफको के अध्यक्ष दिलीप संघाणी समेत अनेक गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।
अपने संबोधन में श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सहकारिता मंत्रालय का गठन कर ‘सहकार से समृद्धि’ के सूत्र से देशभर के 15 करोड़ किसानों को समृद्ध बनाने लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि गांधीधाम में बनने वाला संयंत्र, इफ़को के मौजूदा 30 लाख टन डीएपी उत्पादन करने वाले संयंत्र से भी अधिक उत्पादन करेगा। सहकारिता मंत्री ने कहा कि तरल उर्वरक देश के अर्थतंत्र और कृषि क्षेत्र को मल्टी डाइमेनशनल फ़ायदा देने वाला है। नैनो DAP (तरल) के छिड़काव से भूमि प्रदूषित नहीं होगी, जिससे प्राकृतिक खेती की राह भी आसान होगी और इससे मिट्टी की उर्वरकता के साथ-साथ कृषि उत्पाद भी बढ़ेगा और भूमि संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि इफको डीएपी (तरल) ज़मीन के अंदर नहीं जाता बल्कि फ़सल के ऊपर ही रहता है जिससे डीएपी का फ़ायदा तो होता ही है साथ ही भूमि भी संरक्षित रहती है। उन्होने कहा कि डीएपी (तरल) से पानी प्रदूषित नहीं होगा, उत्पादन बढ़ेगा, दाम किफ़ायती रहेगा, सरकार के सब्सिडी के बोझ को कम करेगा और आयात कम कर भारत को यूरिया और डीएपी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगा। श्री शाह ने इस महत्वपूर्ण पहल के लिए इफ़को को शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि इफको ने न केवल दुनियाभर में सबसे पहले नैनो फर्टिलाइजर की शुरुआत की है बल्कि इससे फर्टिलाइजर के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लक्ष्य को हासिल करने में बहुत अधिक मदद मिलेगी।
श्री शाह ने कहा कि जब उचित मात्रा और क़ीमत पर उर्वरक मिलता है तो निश्चित रूप से किसानों की समृद्धि बढ़ती है। उन्होंने कहा कि इस देश को प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में एक बार फिर हरित क्रांति की ज़रूरत है, लेकिन यह हरित क्रांति एक अलग प्रकार की होगी और इसका लक्ष्य सिर्फ़ उत्पादन नहीं होगा। श्री शाह ने कहा कि वो दिन चले गए जब हमें विदेशों से गेहूं और चावल लाने पड़ते थे। आज हमारे वैज्ञानिकों के परिश्रम, कई सरकारों के लगातार प्रयास और पिछले नौ साल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वैज्ञानिक आयोजन से भारत अन्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन गया है। सहकारिता मंत्री ने कहा कि नई हरित क्रांति में भारत को दुनियाभर को प्राकृतिक खेती का रास्ता बताना होगा और इसके लिए प्राकृतिक खेती की हरित क्रांति लानी होगी। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की हरित क्रांति लानी होगी जिससे किसानों को अपनी उपज का ज़्यादा मूल्य मिले और वे प्रति एकड़ में अधिक से अधिक उपज हासिल कर सके। साथ ही दुनियाभर में भारत के किसानों के ऑर्गेनिक उत्पादों को बेच कर विश्वभर से भारत में संपत्ति लाने का काम इस हरित क्रांति से करना होगा।
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि नई हरित क्रांति के तीन लक्ष्य हैं। पहला उत्पादन के साथ-साथ गेहूं, चावल, दलहन और तिलहन सहित सभी खाद्यान्नों में आत्मनिर्भर बनना। दूसरा किसान की प्रति एकड़ उपज को बढ़ाना और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देकर भूमि का संरक्षण करना। तीसरा प्राकृतिक कृषि उत्पादों को विश्व भर के बाज़ारों में निर्यात कर किसान के घर तक समृद्धि पहुँचाना। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार इन तीनों लक्ष्यों के प्रति पूरी तरह समर्पित है।
सहकारिता मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने सहकार से समृद्धि का जो विजन दिया है उसे साकार करने के लिए सहकारिता मंत्रालय ने तीन मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सोसायटी की स्थापना की है और ये तीन सोसायटी इन तीनों लक्ष्यों की पूर्ति करेंगी। उन्होने कहा कि एक मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सोसाइटी बीज का संवर्धन और संशोधन करेगी, पुराने बीजों को संरक्षित करेगी और किसान की प्रति एकड़ उपज बढ़ाने का काम करेगी। दूसरी मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सोसाइटी किसानों से कृषि उत्पादों को खरीद कर उनका निर्यात करेगी। श्री शाह ने कहा कि धरती माता को बचाने के लिए बहुत सारे किसान प्राकृतिक खेती की ओर निकल पड़े हैं लेकिन उनकी दो सबसे बड़ी समस्या हैं। पहली सर्टिफिकेशन न होने के कारण उनके उत्पाद को लोग ऑर्गेनिक नहीं मानते और दूसरा मानते भी हैं तो कोई उसके अच्छे दाम नहीं देना चाहता। आज देश में कई ऐसे लोग हैं जो अच्छे दाम पर ऑर्गेनिक फूड, सब्जियां, गेहूं, चावल, दालें और तेल खरीदना चाहते हैं मगर इसके सर्टिफिकेशन और मार्केटिंग की व्यवस्था नहीं है। उन्होने कहा कि सरकार ने ऑर्गेनिक प्रोडक्ट की मार्केटिंग के लिए एक मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सोसाइटी बनाई है जो भूमि और उत्पाद का सर्टिफिकेशन कर उत्पादों को किसानों से खरीदेगी। इन उत्पादों को एक अच्छे ब्रांड और आकर्षक पैकिंग के साथ देशभर के बाजार में बेचा जाएगा और मुनाफा सीधा किसान के बैंक अकाउंट में जमा होगा। श्री शाह ने कहा कि तीसरी मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सोसाइटी निर्यात के लिए बनाई गई है। यह मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सोसाइटी छोटे से छोटे किसान के उत्पाद को विश्व बाजार में पहुंचाने के लिए निर्यात प्लेटफार्म बनेगी और इससे मिलने वाला मुनाफा सोसाइटी के पास नहीं रहेगा बल्कि सीधा किसानों के बैंक अकाउंट में जाएगा।

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि आज गांधीधाम में 70 एकड़ में करीब 350 करोड़ रुपये की लागत से जो संयंत्र लगाया जाएगा उसके लिए इफको ने बैंक से एक रुपया भी उधार नहीं लिया है, इसमें शतप्रतिशत इक्विटी इफको की है। उन्होने कहा कि इफको की इक्विटी का मतलब 4 करोड़ किसानों की इक्विटी है क्योंकि इफको का पैसा पैक्स और बाकी कोऑपरेटिव सोसाइटी के माध्यम से वापस किसान के पास जाता है। उन्होने कहा कि इस संयंत्र से प्रतिदिन 500 मिलीलीटर की दो लाख नैनो बोतल देश और दुनिया में भेजी जाएंगी जिससे यूरिया की 6 करोड़ बोरियों का आयात कम होगा और भारत फर्टिलाइजर के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बनेगा। श्री शाह ने कहा कि इससे लगभग 10,000 करोड़ रुपये की खाद सब्सिडी भी बचेगी जो वापस किसानों के पास आएगी, साथ ही इससे करीब 3500 करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा भी बचेगी। श्री शाह ने भरोसा जताया कि एक साल के अंदर ही इस कारखाने में तरल डीएपी का उत्पादन शुरू हो जाएगा। यह प्लांट जीरो लिक्विड डिसचार्ज के आधार पर बनाया गया है जिससे पर्यावरण की सुरक्षा होगी और फर्टिलाइजर के दाम में भी कमी आएगी।

श्री अमित शाह ने कहा कि कॉऑपरेटिव सेक्‍टर, फर्टिलाइजर के उत्पादन और बिक्री में देश की कृषि क्रांति का एक मजबूत स्तंभ बनकर खड़ा है और आज यह स्तंभ और ज्यादा मजबूत और ताकतवर हुआ है। उन्होने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी ने सहकार से समृद्धि के मंत्र को साकार करने के लिए प्राथमिक कृषि ऋण सोसाइटी (PACS) से लेकर apex तक हर क्षेत्र के अंदर बदलाव किया है और सबसे बड़ा बदलाव पैक्स को मल्टीडाइमेंशनल करने का किया है। अब पैक्‍स फर्टिलाइजर, सस्ती दवाइयों की दुकान, सस्ते अनाज की दुकान और पेट्रोल पंप भी खोल सकते हैं। अब पैक्स, कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) और बैंक मित्र भी बन सकते हैं। साथ ही अब पैक्स डेयरी और मछुआरा समिति भी बना सकते हैं। श्री शाह ने कहा कि मोदी सरकार PACS के माध्यम से कृषि-फाइनेंस और कृषि-वितरण के स्ट्रक्चर को मजबूत कर रही है, जिससे सहकारिता क्षेत्र देश में नई हरित क्रांति का केंद्र बनेगा। सहकारिता मंत्री ने कहा कि सरकार अन्न भंडारण के लिए विश्व की सबसे बड़ी भंडारण योजना भी पैक्स में लेकर आए हैं। इससे तहसील की सस्ते अनाज की दुकान पर जितना गेहूं चाहिए वह तहसील से ही खरीद कर, तहसील में ही स्टोर किया जा सकेगा और वहीं से वह गेहूं गांव में चला जाएगा। इससे ट्रांसपोर्टेशन पर हजारों करोड़ रुपये की बचत होगी और फूड कॉरपोरेशन आफ इंडिया अन्न भंडारण के लिए पैक्स को किराया भी देगा। उन्होने कहा कि अब पैक्स में युवाओं के लिए भी बहुत सारे अवसर हैं और इन सभी इनीशिएटिव की जानकारी सहकारिता मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध है। श्री शाह ने सभी किसानों से अपील की कि वे पैक्स को जीवित कर उन्हे आगे बढ़ाएँ। उन्होने कहा कि सरकार ने अगले 5 साल में 3 लाख नए पैक्स बनाने का लक्ष्य रखा है जिससे कृषि फाइनेंस और कृषि उपज वितरण व्यवस्था और मजबूत होगी।

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