सर्पदंश से होने वाली मौतें रोकने के लिए इलाज के सभी इंतजाम मौजूद – सीएमओ
(ब्यूरो न्यूज़ )

Auraiya news today ।जहरीले सांपों की मौजूदगी वाले जिले में जून-जुलाई से सर्पदंश की घटनाओं में इजाफा होता है। जहरीले सांपों के दंश से हर साल बड़ी संख्या में लोग जान गंवाते हैं। इसके पीछे समय से उपचार न मिलना और अस्पताल ले जाने के वजाय सर्पदंश के मरीजों को झाड़-फूंक कराना प्रमुख कारण होता है। सर्पदंश के बढ़ते मामलों के देखते हुए जनपद के सभी स्वास्थ्य केंद्रों सहित जिला सरकारी अस्पतालों में सर्पदंश से बचाव के लिए कुल 1055 एंटी स्नेक वेनम की वायल उपलब्ध है। इसलिए सर्पदंश की स्थिति में किसी भी झाड़-फूंक पर विश्वास किये बिना सीधा अस्पताल में इलाज कराने पहुंचे। यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ सुनील कुमार वर्मा का।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ शिशिर पुरी का कहना है की हिंदुस्तान में लगभग पचास हज़ार व्यक्तियों की मृत्यु सर्पदंश के कारण होती है। देश में लगभग 15 प्रजातियों के विषैले साँप पाये जाते हैं जिसमें मुख्यतः कोबरा, रसल्स वाइपर, स्पैक्टेकल्ड कोबरा, क्रेत, सौ स्केल्ड आदि के काटने से मृत्यु हो जाती है। उन्होंने बताया की देश में सात से आठ प्रतिशत सर्पदंश की घटनायें ही रिपोर्ट होती हैं जिसमें से 22 प्रतिशत व्यक्ति ही चिकित्सालय पहुँच कर उपचार प्राप्त कर पाता है। उन्होंने बताया की सर्पदंश से कोई मृत्यु न होने पाए इसके लिए जनपद के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों सहित 50 व 100 शैय्या जिला अस्पताल में सर्पदंश के इलाज के लिए एंटी स्नेक वैक्सीन की उपलब्धता है। उनका कहना है कि सर्पदंश के बाद प्रथम एक घंटा बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस दौरान सर्पदंश के शिकार व्यक्ति को एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन लग जाना चाहिए। सांप डंसने के बाद देर न करें, तत्काल अस्पताल पहुंचें। सीधा अस्पताल आने वाले अधिकांश लोगों की जान बच जाती है।
झाड़-फूंक में वक्त न करें बर्बाद
डॉ पुरी ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति को सांप ने काट लिया तो झाड़फूंक के बजाय उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए। सर्पदंश के शिकार यदि समय पर अस्पताल पहुंच जाते हैं तो 99% मरीजों की जान बचने की उम्मीद रहती है। अगर सर्पदंश का मरीज स्वास्थ्य केंद्र पर समय से पहुंचता है तो उसका इलाज किया जाएगा। क्योंकि एक मरीज को एंटी स्नेक वेनम की करीब 10 वायल लगाई जाती हैं। वैक्सीन से सर्पदंश के मरीजों का बचाव संभव है।
इस तरह करें बचाव
बरसात में बाहर निकलते समय बूट, मोटे कपडे़ का पैंट आदि पहने।
सर्पदंश पर घबराये नहीं, आराम से लेट जाएं। कपडे़ ढीले कर दें। चूड़ी, कड़े, घड़ी अंगूठी जैसे आभूषण निकाल दें।
छोटे बच्चे, वृद्ध और अन्य बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों में जहर का असर गंभीर हो सकता है, इनके उपचार में देरी न करें।
घाव के साथ छेड़छाड़ न करें। दौड़ने भागने से जहर तेजी से शरीर में फैलता है।
सर्पदंश से पीड़ित व्यक्ति को मदिरा, नशे की कोई चीज और कैफीनेटेड ड्रिंक्स न दें।
झाड़-फूंक से बचें, पीड़ित को जल्द अस्पताल ले जाएं और चिकित्सक की सलाह के अनुसार उपचार लें।
अस्पताल- एंटी स्नेक वेनम की उपलब्धता
अजीतमल सीएचसी- 60 वायल
अयाना पीएचसी – 108
दिबीयापुर सीएचसी- 82
सहार सीएचसी- 125
एरवाकटरा सीएचसी- 105
बिधूना सीएचसी- 65
अछल्दा सीएचसी- 100
50 शैय्या जिला चिकित्सालय – 150
100 शैय्या जिला चिकित्सालय – 80
जनपदीय स्टोर – 260