(ब्यूरो रिपोर्ट)

Lucknow news today ।उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में गुरुवार को राष्ट्रीय महिला आयोग भारत सरकार तथा राज्य सुन्नी मुस्लिम वक्फ बोर्ड के संयुक्त सहयोग से दीनदयाल उपाध्याय राज्य ग्राम्य विकास संस्थान द्वारा मुस्लिम महिलाओं के लिये महिला केंद्रित कानूनों एवं योजनाओं पर एक दिवसीय जागरूकता कायर्क्रम विषयक कायर्शाला आयोजित की गई।

यह कायर्शाला के अयोजन की मुख्य अतिथि राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष डॅा0 रेखा शर्मा तथा डॅा0 सबिहा अहमद, सदस्य राज्य सुन्नी मुस्लिम वक्फ बोर्ड की गरिमामयी उपस्थिति में, संस्थान के अपर निदेशक बी डी चौधरी द्वारा किया गया।उक्त कायर्शाला में प्रदेश के 15 जनपदों की मुस्लिम प्रगतिशील महिलाओं द्वारा प्रतिभाग किया गया।

कायर्शाला के उद्घाटन सत्र समारोह के अवसर पर प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि के रूप में डाॅ0 रेखा शर्मा ने बताया कि धर्म के नाम पर विभिन्न सम्प्रदायों, समुदायों व समाजों में महिलाओं का बँटवारा उचित नहीं है। हमें पांथिक धर्म को छोडकर महिला कतर्व्यों व कर्मो के रूप में अपने भारतीय समाज और संस्कृति को आगे बढाना है। धर्म या मजहब का सम्बन्ध आत्मा व दिल से होता है। यहाँ पर उल्लेखनीय विषय यह है कि आत्मा एक आन्तरिक मनोवृृत्ति है, जिसका किसी एक दूसरे से लौकिक सम्बन्ध नही हो सकता है। अतः हम सबको संविधान के नियमों के मागर्निदेर्शन में चलना चाहिए। हम सभी महिला समाज को, तथाकथित व परम्परागत पितृृात्मक सत्तरूपी समाज में अपनी लगाम अपने हाथ में रखनी चाहिए न कि दूसरे के हाथों में। अपनी दिशाओं का निर्माण स्वयं करें तथा उसी कर्तव्य मार्ग पर अग्रसर हो।जैसे तीन तलाक जैसी महामारी को समाप्त करने के लिए हम सभी ने सामूहिक रूप से संघर्ष किया और संवैधानिक रूप से निर्णय भी हमारे पक्ष में आया। पहली बार बिना किसी पुरूष साथी के, हमारे देश की चार हजार मुस्लिम बहनों को हज यात्रा पर जाने का अवसर प्राप्त हुआ।

अध्यक्षीय सम्बोधन के दौरान संस्थान के अपर निदेशक बी डी चौधरी ने बताया कि महिलाओं को शिक्षा के क्षेत्र में बहुत आगे जाना है क्योंकि हमारे भारतीय समाज में जागरूकता के अभाव के दृृष्टिगत मुस्लिम महिलाएँ परंपरागत रूप से शिक्ष क्षेत्र में उपेक्षित रहीं हैं। धीरे-धीरे दूसरे समुदायों के परिवारों की लड़कियों की शिक्षण व्यवस्था को देखते-देखते, अद्यतन रूप से मुस्लिम परिवारों में भी लड़कियों और महिलाओं की शिक्षा व्यवस्था में अत्यधिक परिवर्तन हुआ है तथा सांस्कृतिक और सामाजिक बदलाव भी बड़ी तीव्र गति से हो रहे हैं। इसका प्रभाव सबसे अधिक महिला वर्ग पर दोनो दृृष्टिकोण से पड़ा है, चाहे वो साकारात्क हो या नाकारात्मक। कभी-कभी विभिन्न प्रकार के भ्रमात्मक विचारों व छद्म सुधारों के नाम पर महिलाएँ स्वयं अपनी स्वाभाविक प्रतिष्ठा और सम्मान का क्षरण करती है। फलस्वरूप समाज के कुत्सित मानसिकता वाले तत्वों का शिकार हो जाती हैं।

कायर्शाला के दौरान विशिष्ट अतिथि के रूप में डाॅ0 सबिहा अहमद, सदस्य राज्य सुन्नी मुस्लिम वक्फ बोर्ड द्वारा मुस्लिम महिला प्रतिभागियों को संबोधित करते हुये बताया कि लिंग असमानता, रूढ़वादी परम्पराएँ व वर्षों से चली आ रही कुरीतियों को समूल नाश करने के दृृष्टिगत, सम्मानजनक स्थिति को लाने के लिए तथा मूलभूत अधिकारों को प्राप्त कराने के लिए महिलाओं को जागरूक कराना अति आवश्यक है और यह तभी हो सकता है जब यह हमारी मुस्लिम बहनें स्वयं प्रथम दृष्टया अपने अधिकारों को जाने तथा अधिकारों को प्राप्त करने का प्रयास भी करें।

उक्त एकदिवसीय कायर्शाला के अन्तगर्त यथा विभिन्न विषयों- इस्लामिक कानून का विकास एवं इसमें महिलाओं की स्थिति, मुस्लिम महिलाओं के कानूनी अधिकार और तीन तलाक का क्रियान्वयन, शिकायत निवारण हेतु राष्ट्रीय महिला आयोग की भूमिका, वन स्टाप सेंटर की भूमिका, स्वयं सहायता समूह और उसके लाभ तथा महिलाओं के लिए सरकारी योजनाएँ इत्यादि पर राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय प्रबुद्ध वातार्कार यथा- प्रो0 शिरीन अब्बास, डॅा0 सोनाली राॅय चौधरी, टूनिका शर्मा, फरीदा जलीस, एहसन जमील तथा सर्वेश पाण्डेय द्वारा अपनी उपयोगी वार्ताओं के माध्यम से मुस्लिम महिलाओं को लाभान्वित किया गया।
आज हुई इस कायर्शाला के आयोजन में कायर्क्रम नियंत्रक डाॅ0 नीरजा गुप्ता, प्र0 डाॅ0 रंजना सिंह, सहायक प्रभारी वरून चतुर्वेदी, नोडल अधिकारी डाॅ0 अलका शर्मा तथा संस्थान के समस्त अधिकारियों और कामिर्कों का सराहनीय योगदान रहा।
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