(रिपोर्ट – संजय सिंह)

Lucknow news today । उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के जिलाधिकारी सूर्यपाल गंगवार और आईआईएम इंदौर टीम के सदस्य नवीन कृष्ण राय ने चिकनकारी उत्पाद इकाईयों का किया अवलोकन किया। बताते चले कि जिला प्रशासन लखनऊ एवं आईआईएम इंदौर के मध्य जुलाई माह में हुए एमओयू के क्रियानवयन के चलते जनपद के ओडीओपी उत्पाद चिकनकारी के समग्र विकास के लिये आईआईएम इंदौर की अध्ययन टीम द्वारा अध्ययन किया जा रहा है। आईआईएम इंदौर की इस अध्ययन टीम का नेतृत्व आईआईएम निदेशक प्रोफेसर हिमांशु राय कर रहे है। जबकि प्रोफेसर भवानी शंकर व नवीन कृष्ण राय टीम के सदस्य है।
आईआईएम की टीम द्वारा चिकनकारी इकाईयों एवं इस व्यवसाय से जुड़े विभिन्न हितधारकों के साथ पिछले एक सप्ताह से विचार विमर्श एवं भ्रमण किया जा रहा है। जिसके चलते रविवार को जिलाधिकारी लखनऊ सूर्य पाल गंगवार व आईआईएम इंदौर की टीम के सदस्य नवीन कृष्ण राय द्वारा चिकनकारी उत्पाद इकाई का भ्रमण किया गया। आईआईएम टीम द्वारा इस परियोजना से जुड़े उद्यमी तथा कारीगरों के साथ व्यापक विचार-विमर्श किया गया तथा भविष्य में किस प्रकार उन्हें अधिक से अधिक मात्रा में उत्कृष्ट उत्पादन, बेहतर मार्केटिंग, नये डिजाइन, पैटर्न तथा मूल्य संवर्धन का लाभ दिया जा सकता है इस विषय पर विस्तार से चर्चा की गई। रिसर्च टीम के फिल्ड विजिट के दौरान कामगारों व चिकनकारी उद्योग से संबंधित स्टेक होल्डर्स द्वारा निम्नलिखित बिंदुओं पर ट्रेनिंग व हैंडहोल्डिग के माध्यम से मदद करने की बात सामने आई है, जिमसे मुख्य रूप से राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय बाजार तक सहज पहुँच, बाजार की मांग यथा कलर, डिजाइन, पैटर्न, आदि की समझ। इसके अलावा ऑनलाइन प्लेटफार्म जैसे फ्लिपकार्ट, एमेजन आदि पर सेल करने हेतु ट्रेनिग। ओडीवोपी उत्पाद चिकनकारी के लिए मार्केटिंग और ब्रांडिंग करने हेतु ट्रेनिंग तथा प्रोडक्ट डिजाइन एवम डेवलपमेंट के माध्यम से गुणवत्ता में वृद्धि के उद्देश्य से विभिन्न संस्थानों के साथ कोलाब्रेशन करना। कामगारों को वित्तीय साक्षरता का प्रशिक्षण देने के विषयो पर भी ध्यान केंद्रित किया गया। भ्रमण के दौरान उपजिलाधिकारी सरोजनीनगर, जीएम डी आई सी व चिकनकारी परियोजना संचालिका मंजरी पांडे भी उपस्थित रहे।
आईआईएम निदेशक ने कही यह बात
आईआईएम इंदौर के निदेशक प्रो. हिमाँशु राय ने बताया कि हस्तशिल्प कार्य के माध्यम से ही हम ढेर सारे हाथों को रोज़गार दे सकते हैं। इसलिए हमारे शोध कार्य का मुख्य उद्देश्य चिकनकारी उद्योग से जुड़े कारीगरों की आय को बढ़ाने के रास्ते तलाशना है। इस माध्यम से हम इन कारीगरों की आर्थिक स्थिति को सुधारने के साथ-साथ चिकनकारी कला को भी बचा सकेंगे। इस शोध की रिपोर्ट को दिसंबर माह तक ज़िला प्रशासन को सौपने का लक्ष्य है। इस स्टडी को पूरा करने के पश्चात हम चिकनकारी कारीगरों व अन्य स्टेक होल्डर्स के लिए ट्रेनिंग-वर्कशॉप के माध्यम से उनकी हैंड-होल्डिंग का भी प्रयास करेंगे।
