रिपोर्ट बबलू सेंगर

Jalaun news today । जालौन में पितृपक्ष के अंतिम दिन पितृ विसर्जन पर पूर्वजों को भावभीनी श्रृद्धांजलि अर्पित कर विदाई दी गई। इतना ही नहीं कई लोगों ने पूर्वजों की आत्म शांति हेतु घरों में हवन, पूजन भी किया।
हिंदू परंपरा के अनुसार क्वांर मास के प्रथम पखवारे के कृष्ण पक्ष में पितृ पक्ष का पर्व बड़ी ही श्रृद्धा के साथ मनाया जाता है। प्रत्येक घरों में अपने पूर्वजों को कृष्ण पक्ष के प्रथम दिन से जल दिए जाने की परंपरा है। जिस तिथि में उनका अंतिम संस्कार हुआ उसी तिथि के अनुसार उनका श्राद्ध मनाकर घरों में ब्राह्मण भोज भी कराया जाता है। 15 दिन के इस पखवारे में लोग अपने पूर्वजों को याद कर उनकी आत्म शांति हेतु हवन पूजन भी कराते हैं। इतना ही नहीं उनकी आत्म शांति हेतु तमाम लोग गया जाकर भी भोज कराते हैं। पंडित देवेंद्र शुक्ला बताते हैं कि पितृ विसर्जन् के दिन पितरों के लिए तरह-तरह व्यंजन बनाकर पितरों का तर्पण करे और फिर ब्राम्हणों को भोजन कराएं। इस दिन किसी याचक को दरवाजे से किसी को खाली हाथ न जाने दें। घर के आस-पास रहने वाले जानवरों को भोजन कराएं। मान्यता है कि इस दिन जो लोग श्रद्धा भाव से पितरों का तर्पण करते हैं उन पर पितृ प्रसन्न रहते हैं। पूर्वज श्राद्ध ग्रहण कर खुशी-खुशी परमधाम लौटते हैं। ऐसे घरों में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है। पितृ पक्ष के अंतिम दिन लोगों ने अपने पितरों की विदाई करते हुए अपने घरों में हवन पूजन कर उनकी आत्म शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की।
