रिपोर्ट बबलू सेंगर

Jalaun news today । बचपन कच्चे मिट्टी की तरह होता है उसे जैसा चाहे वैसा पात्र बनाया जा सकता है। पाप के बाद कोई व्यक्ति नरकगामी हो, इसके लिए श्रीमद् भागवत में श्रेष्ठ उपाय प्रायश्चित बताया गया है। यह बात ग्राम दहगुवां कारसदेव बाबा के मंदिर में आयोजित विष्णु महायज्ञ व साप्ताहिक श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन भागवताचार्य पंडित अजयदेव शास्त्री ने उपस्थित श्रोताओं के समक्ष कही।
ग्राम दहगुवां में कारस देव मंदिर परिसर में आयोजित विष्णु महायज्ञ व साप्ताहिक श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। जिसके तीसरे दिन भागवताचार्य पंडित पवन कुमार द्विवेदी ने श्रोताओं को बताया कि राजा उत्तानपाद के वंश में ध्रुव हुए हैं। ध्रुव की सौतेली मां सुरुचि के द्वारा अपमानित होने पर भी उसकी मां सुनीति ने धैर्य नहीं खोया। जिससे एक बहुत बड़ा संकट टल गया। परिवार को बचाए रखने के लिए धैर्य संयम की नितांत आवश्यकता रहती है। भक्त ध्रुव द्वारा तपस्या कर श्रीहरि को प्रसन्न करने की कथा को सुनाते हुए बताया कि भक्ति के लिए कोई उम्र बाधा नहीं है। भक्ति को बचपन में ही करने की प्रेरणा देनी चाहिए। बताया कि भगवान नृसिंह रुप में लोहे के खंभे को फाड़कर प्रगट होना बताता है कि प्रह्लाद को विश्वास था कि मेरे भगवान इस लोहे के खंभे में भी है और उस विश्वास को पूर्ण करने के लिए भगवान उसी में से प्रकट हुए भी और हिरण्यकश्यप का वध कर प्रह्लाद के प्राणों की रक्षा की। इस मौके पर महंत दयामुनि, महंत मीरामुनि, महंत राघवमुनि, कपिलमुनि महाराज, रामेश्वर मुनि, शांति दास, सत्यनारायण, बाबा पिंटू, पागल महाराज, आदित्य कुमार द्विवेदी, प्रमोद कुमार आदि मौजूद रहे।