Jalaun news today ।जालौन नगर की मरकज जामा मस्जिद में शब-ए-कद्र की फजीलत बताते हुए जलसे का आयोजन किया गया। जिसमें धर्मगुरूओं ने शब ए कद्र को हजार रातों से बेहतर बताया।
शब ए कद्र को लेकर स्थानीय मरकज जामा मस्जिद में जलसा आयोजित किया गया। जलसे की शुरूआत हाफिज मोहम्मद अनस ने कुरआन की तिलावत के साथ की। इसके बाद नात शरीफ की पेशकश हुई। मौलाना सुल्तान, मौलाना उवैश ने बताया कि इस्लाम धर्म के आखिरी पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब का फरमान है कि शब-ए-कद्र अल्लाह ने सिर्फ मेरी उम्मत (अनुयायी) को अता फरमाई है। जिसमें इबादत करने का सवाब हजार रातों की इबादत से ज्यादा है। मौलाना अयूब ने बताया कि शब-ए-कद्र की अहमियत इसलिए भी बढ़ जाती है, क्योंकि अल्लाह ने अपने बंदों की रहनुमाई के लिए इसी रात में कुरआन को आसमान से जमीन पर उतारा था। यही वजह कि इस रात में कुरआन की तिलावत भी शिद्दत से करनी चाहिए। शब-ए-कद्र गुनाहगारों के लिए तौबा के जरिए अपने गुनाहों की माफी मांगने का बेहतरीन मौका होता है। अकीदत और ईमान के साथ इस रात में इबादत करने एवं तौबा करने वालों के पिछले सारे गुनाह माफ कर दिए जाते हैं। मौलाना नियामत उल्ला ने बताया कि शब ए कद्र की फजीलत खुद कुरआन में बयान करते हुए कहा गया है कि इस रात खुदा खुद आवाज लगाता है कि है कोई माफी का तलबगार, जिसे मैं माफ कर दूं। है कोई रिज्क का चाहने वाला, जिसका रिज्क अता कर दूं। मतलब यह कि इस रात में मांगी गई बंदे की हर दुआ कुबूल होती है। लिहाजा, शब-ए-कद्र की रात में लोगों को इबादत में मशगूल रहना चाहिए। जिनमें नफिल नमाज, कुरआन की तिलावत, तसबीहात (जाप) आदि पढ़ना अहम है। इस मौके पर हाफिज कलीमुल्ला, मौलवी हस्सान, हाजी नफीस, नूरूल इस्लाम, जावेद अख्तर, मौलाना अलकमा, मोहम्मद इकबाल, इस्माईल उर्फ पप्पू, मोहम्मद अनस आदि मौजूद रहे।
