गुमनामी में धकेले जाने की साजिशों के बीच प्रेमचंद की यादों को जिंदा रखने की एक जोरदार कोशिश

ब्यूरो रिपोर्ट

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Orai / jalaun news today। एक ओर पाठ्य पुस्तकों से प्रेमचंद गायब किये जा रहे हैं। दूसरी ओर यथार्थवादी हिंदी कहानियों और उपन्यासों के इस कालजयी रचनाकार की स्मृति की निरंतरता के लिए भारतीय जननाट्य संघ (इप्टा) की उरई इकाई विभिन्न आयोजनों के माध्यम् से नई पीढ़ी को उनके बारे में अवगत रखने के उपक्रम में जुटी हुई है। गत् 31 जुलाई को मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर इप्टा के द्वारा विभिन्न विद्यालयों में प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता आयोजित कराई गयी थी। जिसमें छात्रों ने बहुत ही उत्साह के साथ भाग लिया था। मंगलवार को गांधी इंटर कॉलेज के पंत हाल मे एक कार्यक्रम आयोजित कर इन प्रतियोगिताओं के प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र व मुंशी प्रेमचंद की रचनाएं देकर प्रोत्साहित किया।
इस अवसर पर इप्टा के अध्यक्ष देवेंद्र शुक्ला ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद ने अपनी रचनाओं से विश्व साहित्य में हिन्दी के लेखन को प्रतिष्ठित किया। मुंशी प्रेमचंद के लेखन को खारिज करना राष्ट्रीय गौरव का अपमान है। उन्होंने कहा कि मुंशी प्रेमचंद की रचनाएं चिर प्रासंगिक हैं और भारतीय समाज की जमीनी सच्चाइयों का ऐसा दस्तावेज हैं जिन पर पहले कभी इतने सजीव ढंग से कोई कलम नही चली थी। छात्र-छात्राओं ने उन पर आयोजित प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में जिस दिलचस्पी के साथ भागीदारी की वह बेहद आशान्वित करने वाला अनुभव है। इप्टा महासचिव राज पप्पन ने कहा कि साहित्य का अर्थ स्वान्तः सुखाय नही हो सकता। सामाजिक प्रतिबद्धता वास्तविक साहित्य की पहली निशानी है। मुंशी प्रेमचंद को पढ़कर पता चलता है कि साहित्य की सही परख की तमीज क्या होती है। मानवीय मूल्यों पर आधारित उदात्त समाज के निर्माण के लिए नई पीढ़ी को मुंशी प्रेमचंद के साहित्य से परिचित कराना अत्यंत आवश्यक है।
कॉलेज के प्रधानाचार्य देवेंद्र कुमार झा ने मुख्य अतिथि के रूप में सारगर्भित वक्तव्य दिया। कार्यक्रम का संचालन विद्वान प्रवक्ता अमृत लाल नागर ने किया। कार्यक्रम में शिक्षकगण शैलेश कुमार, जितेंद्र वर्मा, अशोक सिंह, चंद्रकेश राम आदि का विशेष सहयोग रहा। अंत में देवेंद्र शुक्ला ने इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य और स्टॉफ का आभार जताया।

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