रिपोर्ट बबलू सेंगर
Jalaun news today । जालौन नगर के मोहल्ला जोशियाना स्थित लल्ला तिवारी के आवास पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन भागवताचार्य सुखनंदन मयूर ने कंस वध, गोपी-उद्धव संवाद और रुक्मणि मंगल के प्रसंगों वर्णन किया।
भागवताचार्य सुखनंदन मयूर ने कहा कि अत्याचार, अहंकार और अधर्म का अंत निश्चित होता है। कंस ने भगवान श्रीकृष्ण के बालरूप से लेकर किशोर वय तक लगातार षड्यंत्र रचे, लेकिन अंततः उसका अंत भगवान के हाथों ही हुआ। यह संदेश है कि धर्म और सत्य की विजय सदा होती है, चाहे अधर्म कितना ही प्रबल क्यों न प्रतीत हो। गोपी-उद्धव संवाद का वर्णन कर कहा कि उद्धव ज्ञान के मार्ग के समर्थक थे, जबकि गोपियों का मार्ग प्रेम और समर्पण का था। गोपियों ने उद्धव से कहा कि हमारा श्रीकृष्ण से संबंध प्रेम और आत्मभाव का है, जिसे कोई तर्क या ज्ञान सीमित नहीं कर सकता। रुक्मणि मंगल प्रसंग में बताया कि रुक्मणि जन्म से ही श्रीकृष्ण को अपने हृदय में बसाए थीं। जब रुक्मणि का विवाह शिशुपाल से तय किया गया, तो उन्होंने श्रीकृष्ण को पत्र लिखकर अपनी व्यथा व्यक्त की। श्रीकृष्ण ने रुक्मणि का हरण कर उनका मंगल संपन्न किया। कहा कि जब भक्त सच्चे मन से भगवान का स्मरण करता है तो भगवान अपने भक्तों का साथ कभी नहीं छोड़ते। इस मौके पर पारीक्षित कुसुमलता, उदयनारायण, आरती मिश्रा, रोहित मिश्रा, शिवांश मिश्रा, राघव तिवारी, सत्यम तिवारी, ज्योति तिवारी, पंकज, ईशान, लव, धैर्य, राघव, कान्हा आदि मौजूद रहे।





