बाहुबली रमाकांत के पुत्र अरुणकांत यादव को मंच पर बुलाकर मिले सीएम योगी, देे दिया बड़ा मैसेज

(Bne)

आजमगढ़. लोकसभा उपचुनाव के बाद पहली बार आजमगढ़ के दौरे पर आए सीएम योगी ने 143.10 करोड़ की परियोजनाओं का लोकापर्ण और शिलान्यास किया तो समीकरण भी साधने की कोशिश की। सीएम योगी ही थे जिन्होंने दो धुर विरोधियों को एक मंच पर ला दियां सीएम के मंच पर बीजेपी से निष्कासित एमएलसी यशवंत सिंह और उनके पुत्र एमएलसी विक्रांत सिंह पहले से ही मौजूद थे। इसी बीच सीएम की नजर बीआईपी गैलरी में बैठे सपा के बाहुबली विधायक के पुत्र पूर्व विधायक अरुणकांत यादव पर पड़ी तो उन्होंने अरुण को मंच पर बुलाकर बात की। इसके बाद उन्हें भी अगली पंक्ति में बैठाया। इससे उन्होंने जहां जातीय समीकरण साधने की कोशिश की वहीं यह भी बता दिया कि पार्टी में सबकुछ ठीक चल रहा है। बता दें कि बीजेपी ने पूर्व विधायक अरुणकांत यादव को निकाय एमएलसी चुनाव में आजमगढ़-मऊ सीट से लड़ाया था। उस समय एमएलसी यशवंत सिंह ने पार्टी से विद्रोह कर अपने पुत्र विक्रांत सिंह को निर्दल मैदान में उतार दिया था। इसके बाद 04 अप्रैल 2022 को यशवंत सिंह को छह साल के लिए पार्टी से निकाल दिया गया था। चुनाव में अरुणकांत को हार का सामना करना पड़ा था। विक्रांत सिंह चुनाव जीतने में सफल रहे थे। इसके बाद बीजेपी पर यह आरोप लग रहा था कि पार्टी ने जानबूझकर विक्रांत को जीतने का अवसर प्रदान किया जिसके कारण अरुणकांत हार गए। चुनाव के बाद अरुणकांत यादव पार्टी से नाराज भी माने जा रहे थे। इसी बीच अरुणकांत के पिता का नाम माहुल जहरीली शराब कांड और मतगणना के दौरान सरकारी कर्मचारी से लैपटाप छीनने की घटना में आ गया। हत्या के प्रयास में जेल में बंद रमाकांत यादव की मुश्किल इससे बढ़ गई है। माना जा रहा है कि उनके लिए जेल से निकलना आसान नहीं होगा। वहीं अन्य आरोपियों की तरह रमाकांत यादव पर एनएसए लगाने की चर्चा जोरो पर है। ऐसे में माना जा रहा था कि शायद अरुणकांत सीएम के कार्यक्रम से दूरी बना लें। कार्यक्रम को लेकर छपे कार्ड में एमएलसी यशवंत सिंह और विक्रांत सिंह का नाम होने के बाद यह संभावना और बढ़ गई थी लेकिन अरुणकांत यादव पूरे लाव लस्कर के साथ कार्यक्रम में शामिल हुए। यह अलग बात है कि अरुण का मंच पर स्थान नहीं मिला। वे बीआईपी गैलरी में बैठे रहे। सीएम योगी आदित्यनाथ की नजर जैसे ही अरुणकांत पर पड़ी उन्होंने तत्काल अरुण को मंच पर बुलवाया और उनसे बातचीत करने के बाद उन्हें अगली पंक्ति में बैठने का स्थान दिया गया। इस घटना के बाद अब रमाकांत और उनके पुत्र अरुणकांत के बीच लंबे समय से चले आ रहे विरोध की चर्चा होने लगी है।

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