Jalaun news today । गुरू पूर्णिमा के मौके पर मंदिरों, घरों एवं गुरूओं की समाधी स्थलों पर धार्मिक आयोजन आयोजित किए गए। नगर के मंदिरों में भक्तों ने पूजा-पाठ किया। जगह जगह प्रसाद वितरण व भंडारे का आयोजन किया गया।
आषाढ़ का महीना पूजा-पाठ का महीना माना जाता है। इसीलिए इस महीने के अंतिम पखवाड़े में शुक्ल पक्ष में घरों में कुल के देवी, देवताओं की पूजा होती है। एक पखवाड़े तक पूजा होने के बाद आषाढ़ी पूर्णिमा को पूजा-पाठ का समापन होता है। अषाढ़ी पूर्णिमा अथवा गुरू पूर्णिमा को भक्त अपने गुरू की पूजा-अर्चना कर भंडारा आदि का कार्यक्रम आयोजित करते हैं। पंडित अरविंद बाजपेई बताते हैं कि गुरू शिष्य परंपरा के सम्मान और संस्कार व्यक्त करने का पवित्र दिवस गुरू पूर्णिमा है। यह पर्व शिष्यों का आध्यात्मिक सौभाग्य जगाने का दिवस है। इसलिए शिष्यों को यह अवसर खोना नहीं चाहिए। झोली फैलाकर अपने सदगुरू व भगवान दोनों से ही मांगना चाहिए। वहीं, गुरू पूर्णिमा के चलते मंदिरों, घरों एवं गुरूओं के समाधि स्थलों पर पूजा-अर्चना कर अखंड रामायण का पाठ किया गया। इस मौके पर देवी मंदिरों एवं हनुमानजी के मंदिरों में भक्तों ने पहुंचकर श्रृद्धाभाव से मिष्ठान का भोग लगाया और पूजा अर्चना की। पूर्णिमा के मौके पर नगर में जगह-जगह धार्मिक आयोजन किए गए। गुरू पूर्णिमा की पूर्व संध्या से ही कार्यक्रम प्रारंभ हो गए थे। गुरू पूर्णिमा के मौके पर शिष्यों ने अपनी श्रद्धा के अनुसार अपने गुरूदेवों की पूजा आराधना की एवं गुरू के चित्रों पर पुष्पमाला भेंट कर उनका आशीर्वाद लिया। नगर के अधिकांश मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना की गई। घरों में भगवान सत्यनारायण की कथा का आयोजन किया गया तत्पश्चात प्रसाद वितरण किया गया। तोपखाना स्थित अखंड परमधाम में पुजारी दयानंद महाराज, हनुमंत साधना केंद्र में पुजारी रमेश विश्वकर्मा के देखरेख में भंडारे का आयोजन किया गया है जिसमें भक्तों ने जमकर प्रसाद चखा।