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UPSIFS के “नवारंभ 2024-25” कार्यक्रम में सम्मिलित हुए विभिन्न विषयों के विशेषज्ञ,,

संस्थान में लाभप्रद जानकारी एवं बेहतर शैक्षणिक वातावरण देना हमारी प्राथमिकता: डॉ0 जीके गोस्वामी

Lucknow news today । उत्तर प्रदेश स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ़ फॉरेंसिक साइंस लखनऊ में आयोजित तीन दिवसीय “नवारंभ 2024-25” कार्यक्रम के दूसरे दिन के विशेष व्याख्यान सत्र में आमंत्रित विभिन्न विषयों के विषय विशेषज्ञों ने नवागंतुक छात्रों को उनके विषयों से संबंधित लाभप्रद जानकारियां सांझा किया।
इस अवसर पर संस्थापक निदेशक डॉ0 जीके गोस्वामी गोस्वामी ने बताया कि “नवारंभ 2024-25” कार्यक्रम का उद्देश्य नवागंतुक छात्र-छात्राओं को संस्थान में उनके विषयों से संबंधित लाभप्रद जानकारी एवं बेहतर शैक्षणिक वातावरण देना हमारी प्राथमिकता है ताकि नवागंतुक छात्र अपने लक्ष्य को सफलता से हासिल कर सके।
इस अवसर पर अतिथि प्रवक्ता डॉ0 एस0के0 जैन निदेशक फारेंसिक विज्ञान विभाग दिल्ली ने छात्रों को बताया कि फारेन्सिक विषयों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हर व्यक्ति की आवाज में अनोखापन होता है अगर कोई अपराधी आवाज बदल कर अपनी पहचान छिपाना चाहता है तो अब वायस इस्पेक्टोग्राफी टेक्नोलोजी के माध्यम से उसकी पहचान की जा सकती है। उन्होंने कहा कि ज्यादातर मामलों में सुक्ष्म मात्रा मे ही साक्ष्य मिलते है लेकिन अब फोरेंसिक साइंस के माध्यम से उन केसों को भी सुलझाया जा सकता है।


इस अवसर पर अतिथि वक्ता डॉ0 जी खान अपर निदेशक राज्य चिकित्सा विधि प्रकोष्ठ ने छात्रों को जुरिप्रुडेन्स मेडिको लीगल एन्ड जनरल टाक्सिकोलोजी से संबंधित विषयों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि जुरिप्रुडेन्स मेडिको लीगल एन्ड जनरल टाक्सिकोलोजी का फोरेंसिक साइंस में क्या महत्व है को भी बताया। उन्होंने कहा कि बायलाजिकल साक्ष्य संकलन अपराध के अनुसंधान में अति महत्वपूर्ण है । विधि विज्ञान में वैज्ञानिक मानव अपराध से संबंधित विवेचना में शव की पहचान, मृत्यु का कारण एवं संबंधित साक्ष्य संकलनर के विधा पर प्रकाश डाला।
इस अवसर पर अतिथि वक्ता डॉ0 शिवपूजन एडवाईजर वायोटेक पार्क लखनऊ ने छात्रों बताया कि फारेन्सिक साइन्स में उद्यमिता की बहुत बड़ी संभावनायें हैं और नई तकनीकी को कैसे उपयोग में लायें जो फारेंसिक साइन्स को और अधिक बढावा दे सकता है। उन्होंने इसमें थ्रीडी बायोप्रिन्टर का उपयोग अंग विकसित करने के क्षेत्र में फारेंसिक मेथड के साथ कृत्रिम स्कीन का उपयोग करके फारेंसिक विश्लेषण की टेक्नोलोजी को कैसे प्रभावी बनाया जाय को भी बताया।
अतिथि वक्ता डॉ अरुण मोहन शेरी निदेशक ट्रिपल आईटी लखनऊ ने कहा कि साइबर सिक्योरिटी की प्रकरणों में हम तकनीकी का कैसे इस्तेमाल करेंl उन्होंने कम्युनिकेशन को आसान भाषा में समझायाl
अतिथि वक्ता डॉ उपेंद्र गिरी ने रियल लाइफ में टेक्नोलॉजी का कैसे इस्तेमाल करें इस विषय पर प्रकाश डाला साथ ही श्री रोहित नेगी ने साइबर सिक्योरिटी के विषयों को छात्रों से अपने अनुभव साझा किया

इस अवसर पर अतिथि वक्ता डॉ अमित कुमार निदेशक बायोएक्सिस डीएनए रिसर्च सेंटर हैदराबाद ने बताया कि फोरेंसिक डीएनए तकनीक ने भारतीय न्याय व्यवस्था में एक नई क्रांति ला दी है। इस तकनीक के माध्यम से अपराधों की जांच और सुलझाने में अत्यधिक सटीकता और तेजी आई है। उन्होंने ने कहा कि डीएनए तकनीक की सटीकता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए नियमित मानक और परीक्षण बेहद जरूरी हैं। इस तकनीक के बढ़ते उपयोग के मद्देनजर इसके सुरक्षा उपायों पर भी ध्यान दिया जा रहा है, ताकि किसी भी प्रकार की त्रुटि या दुरुपयोग से बचा जा सके। अतिथि वक्ता डॉ अरविंद चतुर्वेदी आईपीएस ने इस अवसर पर वाइल्डलाइफ एनिमल पर छात्र-छात्राओं को विशेष जानकारी प्रदान कीl


इस अवसर पर निदेशक डॉ0 गोस्वामी ने संस्थान में आये समस्त वक्तागण अतिथियों को स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया। कार्यक्रम मे अपर निदेशक राजीव मलहोत्रा, उपनिदेशक चिरन्जीव मुखर्जी, प्रशासनिक अधिकारी अतुल यादव, सहायक रजिस्ट्रार डा0 अजिता, डा0 सीएम सिंह, डा. विवेक, जन संपर्क अधिकारी संतोष तिवारी, प्रतिसार निरीक्षक बृजेश सिंह सहित संस्थान के शैक्षणिक संवर्ग के संकाय डॉ सौरभ सिंह, डॉ0 अरूण खत्री, डा0 सपना, डॉ0 अजीत कुमार, डॉ0 आशीष राज, डा0 सपना शर्मा डा0 पोरवी डा0 रोशन ,डा0 अभिषेक एवं अन्य स्टाफ उपस्थित रहे।

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