राजू तुम तो मुह मोड़ गए ।
पीछे तुम क्या क्या छोड़ गए ।।
तुम छोड़ गए सम्राट ह्रदय ।
अपना विशाल विराट ह्रदय ।।
ऐसी मिसाल दुनिया मे नही ।
हम सबका हुआ उचाट ह्रदय ।।
सारे नाते तुम तोड़ गए।
पीछे तुम क्या क्या छोड़ गए ।।
तुम छोड गए मस्ती अपनी ।
दुनिया से अलग हस्ती अपनी ।।
बे पनाह बांटी अपनी दौलत ।
समुन्दर में डाली कश्ती अपनी ।।
फव्वारे, हंसी के बम फोड़ गए ।
पीछे तुम क्या क्या छोड़ गए।।
साथ रहोगे तुम तो सदा सदा ।
याद आओगे तुम सदा सदा ।।
यूं बसी छवि आंखों में तेरी ।
दोस्तों भूलेंगे नही हम सदा सदा।
ग़म का खुशियों से नाता जोड़ गए
राजू तुम क्या क्या छोड़ गए ।।
“सैनी” की है विनती इतनी ।
की दुनिया में तुम फिर आना ।।
फिर वही हास्य रूप लेकर आना।
हंसाना हमें कल फिर से हंसाना।।

“अनिल सैनी”????