जालौन क्षेत्र में हुआ लोक उत्सव कार्यक्रम का आयोजन,,

रिपोर्ट बबलू सेंगर

Jalaun news today । लोक उत्सव भागदौड़ भरी अवसादी जिंदगी में संगीत और सकारात्मक विचारों से ऊर्जा का प्रवाह करते हुए सुकून देते है और मनौषधि का कार्य करते हैं। यह बात महात्बा ज्योतिराव फूले समग्र फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित लोक उत्सव कार्यक्रम में संयोजक एड. बृजमोहन कुशवाहा ने कही।
महात्मा ज्योति राव फूले समग्र फाउंडेशन के तत्वावधान में कबीर पंथी बालकदास की अध्यक्षता में स्थानीय विद्यालय में लोक उत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें गीत संगीत के साथ सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा वर्तमान परिवेश में समाज और संस्कृति की भूमिका पर विचार प्रकट किए गए। लोक उत्सव में सर्वप्रथम संगीत के माध्यम से हरी सिंह संकीर्तन मंडल के लक्ष्मीनारायण राठौर, रंजीत यादव बाबा, रामदास, मास्टर रामकुमार वर्मा, शंकर कुशवाहा, हरी सिंह कुशवाहा,मनोज रजक, जसवंत कुशवाहा, रामसनेही कुशवाहा द्वारा कबीर भजन के साथ अन्य भजन प्रस्तुत किए गए। लक्ष्मी राठौर द्वारा गाए भजन ‘तू जान सके तो जान, मन में तेरे छिपकर बैठा तेरा भगवान’ ने सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया। कार्यक्रम में पूर्व जेडीसी बैंक अध्यक्ष मूलशरण कुशवाहा ने कहा कि लोक उत्सव वर्तमान में बिखरते समाज को एकजुट होकर जीवन की चुनौतियों से जूझकर आगे निकलने का हौसला बढ़ाते हैं और इसमें प्रत्येक आयुवर्ग के लोगों को जोड़ने की जरूरत है। कामरेड कमलकांत वर्मा ने कहा कि वर्तमान पूंजीवादी व्यवस्था ने परिवार समाज जैसी संस्थाओं को बहुत कमजोर कर दिया है। जिससे व्यक्ति जीवन संघर्ष में अकेलापन महसूस कर अवसाद से ग्रसित हो रहा है और जरूरतों की पूर्ति हेतु निरंतर भाग रहा है। जब निराशा हाथ लगती है तो आत्महत्या जैसे जघन्य कृत्य को भी अंजाम दे देता है। ऐसे में लोक उत्सव जैसे कार्यक्रम की शुरुआत सराहनीय प्रयास है। इसको निरंतर जारी रखने की जरूरत है। जो व्यक्ति के जीवन में अवसाद खत्म कर ऊर्जा और उत्साह का संचार का माध्यम बनेगा। कार्यक्रम के संयोजक एड. बृजमोहन कुशवाहा ने बताया कि महात्मा ज्योति राव फूले समग्र फाउंडेशन शिक्षा और संस्कृति के माध्यम से समाज की बेहतरी के निरंतर प्रयासरत है। लोक उत्सव के माध्यम से संस्कृति को वरिष्ठ पीढ़ी से नई पीढ़ी को हस्तांतरण करने का प्रयास किया जाएगा। संचालन एड बृजमोहन कुशवाहा ने किया। इस मौके पर कामरेड आशाराम कुशवाहा, सुंदर सिंह कुशवाहा बरहा, छेदालाल प्रजापति, ओम प्रकाश साहू, नरेंद्र कुमार वर्मा, फूल सिंह नारायणदास साहू, राजू कुशवाहा, चंद्रभान कुशवाहा, मोतीलाल कुशवाहा, पवन राठौर, चंद्रशेखर विश्वकर्मा, जितेंद्र राठौर, योगेंद्र याज्ञिक, ज्ञानसिंह कुशवाहा, महेंद्र कुशवाहा बबलू, रामकुमार सोनी, हरवेंद्र सिंह कुशवाहा गोरन, जयप्रकाश दाऊ, विशाल कुशवाहा औरेखी, चंद्रशेखर कुशवाहा एड., सुरतान सिंह, गया प्रसाद, रविकांत जाटव, लखन राठौर, राम सजीवन राठौर, अमित कुशवाहा, दुष्यंत दोहरे, देवेंद्र कुशवाहा, बॉबी गुर्जर, दयाराम कुशवाहा धनौरा आदि मौजूद रहे।

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