रिपोर्ट बबलू सेंगर

Jalaun news today । जालौन क्षेत्र के शनिधाम पर आयोजित धार्मिक कार्यक्रमों की श्रृंखला में चौथे दिन श्रीकृष्ण जन्म की कथा का श्रवण कथा व्यास हर्षिता किशोरी ने उपस्थित श्रोताओं को कराया।
शनिधाम गूढ़ा में नौ कुंडीय श्रीराधा वल्लभ महायज्ञ एवं श्रीमद् भागवत महापुराण का आयोजन किया जा रहा है। जिसके चौथे कथा व्यास हर्षिता किशोरी ने कहा कि जब-जब धरा पर अत्याचार, दुराचार, पापाचार बढ़ा है, तब-तब प्रभु का अवतार हुआ है। प्रभु का अवतार अत्याचार को समाप्त करने और धर्म की स्थापना के लिए होता है। जब धरा पर मथुरा के राजा कंस के अत्याचार अत्यधिक बढ़ गए, तब धरती की करुण पुकार सुनकर श्रीहरि विष्णु ने देवकी माता के आठवें पुत्र भगवान श्रीकृष्ण के रूप में जन्म लिया। श्रीकृष्ण का जन्म होते ही पूरा पांडाल नंद घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की के बधाई गीतों से झूम उठा। पूरे पंडाल में पीत वस्त्रों में भक्तजन नाचते गाते नजर आए। कहा कि पृथ्वी पर जब कोई संकट आता है और दुष्टों का अत्याचार बढ़ता है तो भगवान अवतरित होकर उस संकट को दूर करते हैं। भगवान शिव और भवगान विष्णु ने कई बार पृथ्वी पर अवतार लिए हैं। भक्तों की पुकार पर दैत्य दानवों के संहार के लिए भगवान स्वयं धरती पर प्रकट हुए और दुष्टों का हर युग में संहार किया। त्रेता युग में लंकापति रावण के अत्याचारों से मुक्ति के लिए मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने जन्म लिया। उन्होंने श्रीकृष्ण से संस्कार की सीख लेने की बात कही। कहा कि भगवान श्रीकृष्ण स्वयं जानते थे कि वह परमात्मा हैं। उसके बाद भी वह अपने माता पिता के चरणों को प्रणाम करने में कभी संकोच नहीं करते थे। श्रीमद् भागवत कथा के माध्यम से उन्होंने धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की महत्ता पर भी प्रकाश डाला। इसके अलावा मौजूद लोगों ने यज्ञ स्थल की परिक्रमा कर प्रभु से सुख और शांति की प्रार्थना की। इस मौके पर यज्ञाचार्य पंडित मिथलेश महाराज, पुजारी भरत तिवारी, चंद्रभान मिश्रा, शैलजा, आरती, सुनीता, शशिकला, रीता, रागिनी, कमला, प्रेमलता आदि मौजूद रहे।