रिपोर्ट बबलू सेंगर

Jalaun news today । जालौन नगर व ग्रामीण क्षेत्र में होलिका दहन का कार्यक्रम पारम्परिक व उल्लास के साथ हुआ। नगर व ग्रामीण क्षेत्र के 104 सार्वजनिक स्थानों पर होलिका दहन हुआ है इसके बाद लोगों ने घरों में होलिका दहन का कार्यक्रम आयोजित हुआ।
हिरण्यकश्यपु के कहने पर होलिका प्रह्लाद को मारने के लिए अपनी गोद में बैठाकर आग में प्रवेश कर कई। किंतु भगवान विष्णु की कृपा से तब भी भक्त प्रह्लाद बच गया और होलिका जल गई। तभी से बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में होलिका दहन होने लगा और ये त्योहार मनाया जाने लगा। होली का त्योहार मनाने का एक वैज्ञानिक कारण भी है। शरद ऋतु की समाप्ति और बसंत ऋतु के आगमन का यह काल पर्यावरण और शरीर में बैक्टीरिया की वृद्धि को बढ़ा देता है लेकिन जब होलिका जलाई जाती है तो उससे तापमान बढ़ता है। परंपरा के अनुसार जब लोग जलती होलिका की परिक्रमा करते हैं तो होलिका से निकलता ताप शरीर और आसपास के पर्यावरण में मौजूद बैक्टीरिया को नष्ट कर देता है। और इस प्रकार यह शरीर तथा पर्यावरण को स्वच्छ करता है। प्राचीन धार्मिक व वैज्ञानिक आधार को देखते हुए नगर व ग्रामीण क्षेत्रों में होलिका दहन का कार्यक्रम पारंपरिक व उल्लास के साथ किया गया। नगर क्षेत्र में 22 व ग्रामीण क्षेत्रों में 82 स्थानों पर होलिका दहन की परंपरा निभाई गई। होलिका दहन से नगर व ग्रामीण क्षेत्रों में टोलियों में फाग का गायन हुआ और मुहूर्त होने पर विधि-विधान से पूजा अर्चना की गई। इसके बाद आग लगायी गई। अग्नि की प्रंचडता कम होने पर लोगों ने परिक्रमा की और इन स्थानों से अग्नि घर में लाकर घरों में होलिका दहन किया। होलिका दहन के साथ रंग के त्योहार की शुरुआत हो गई। मुख्य कार्यक्रम द्वारिकाधीश मंदिर परिसर में हुआ। 11 बजकर 6 मिनट पर होलिका दहन के बाद अबीर गुलाल खेला गया। आपसी मनमुटाव भुलाकर लोगों ने एक दूसरे को गले लगाकर होली की शुभकामनाएं दीं। इस मौके पर उपजिलाधिकारी विनय मोर्य, सीओ शैलेंद्र कुमार बाजपेयी, इंस्पेक्टर क्राइम जगदंबा प्रसाद दुबे पुलिस फोर्स के मौजूद रहे।