परम्परागत तरीके से मनाया गया नागपंचमी का त्यौहार,,

Jalaun news today ।जालौन क्षेत्र में नागपंचमी का त्यौहार शुक्रवार को नगर व ग्रामीण क्षेत्रों में पारंपरिक ढंग से मनाया गया। इस मौके पर लोगों ने नागों की पूजा की और उन्हें दूध पिलाया।
श्रावण शुक्ल पंचमी को नागपंचमी पर्व के रूप में मनाया जाता है। सनातन परंपरा में पंच तत्वों के साथ पशुओं, पेड़ों को भी पूजने की परंपरा है। इसी तरह नागों की पूजा का भी विशेष महत्व है। भगवान शिव तो उन्हें आभूषण की तरह गले में ही धारण करते हैं। नागों को एक मायने में इंसानों का मित्र माना जाता है। वे चूहों को खाकर उनकी संख्या सीमित रखते हैं। बड़ी संख्या में चूहे होने पर वे फसलों और अनाज को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके अलावा बरसात के मौसम में नागों के घरों में पानी भर जाने के कारण वह जमीन पर विचरण करने लगते हैं। ऐसे में उनके प्रकोप से बचने के लिए लोग नागपंचमी के मौके पर उनकी पूजा कर नुकसान न पहुंचाने की प्रार्थना करते हैं। नागपंचमी के मौके पर नगर व ग्रामीण क्षेत्रों में घरों में भोजन बनाकर घर के मुख्य द्वार पर नाग की आकृति बनाकर उनकी पूजा की गई और क्षमा याचना कर दया बनाए रखने की प्रार्थना की। पंडित देवेंद्र दीक्षित बताते हैं कि पुराणों में नाग पंचमी मनाने के पीछे कई मान्यताएं प्रचलित है। ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने सावन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को कालिया नाग का वध किया था। इस तरह उन्होंने गोकुलवासियों की जान बचाई थी। तब से नाग पंचमी का पर्व चला आ रहा है। एक अन्य मान्यता के अनुसार, समुद्र मंथन में जब रस्सी नहीं मिल रही थी, तो वासुकि नाग को रस्सी के रूप में प्रयोग किया गया था। देवताओं ने वासुकी नाग के कहने पर उनकी पूंछ पकड़ी थी और दावनों ने वासुकी नाग का मुंह। बताया कि इस दिन नाग देवता की पूजा करने से उनकी कृपा मिलती और सर्प से किसी भी प्रकार की हानि का भय नहीं रहता। जिनकी कुंडली में काल सर्प दोष होता है, उन्हें इस दिन पूजन कराने से इस दोष से छुटकारा मिल जाता है।

Leave a Comment