सेवारत शिक्षकों पर टी.ई.टी. अहर्ता की अनिवार्यता के खिलाफ राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ लामबंद

टी.ई.टी.अर्हता समाप्त किए जाने को लेकर राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन भारी संख्या में शिक्षक, शिक्षिकाओं की मौजूदगी में सौंपा

रिपोर्ट राहुल उपाध्याय

Bahraich news today : अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार 15 सितम्बर (सोमवार) कों पूरे भारतवर्ष में एक साथ सभी जिलों के जिला मुख्यालय में शिक्षकों पर जबरन टी.ई.टी.थोपने के विरोध में राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ, बहराइच के जिलाध्यक्ष आनन्द मोहन मिश्र के मार्गदर्शन में जिला कलेक्ट्रेट बहराइच धरना स्थल पर भारी संख्या में शिक्षक, शिक्षिकाओं ने एकत्रित होकर प्रधानमंत्री सम्बोधित अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ का ज्ञापन जिलाधिकारी बहराइच के माध्यम से उनके प्रतिनिधि सिटी मजिस्ट्रेट राजेश चौरसिया कों सौंपकर टी.ई.टी. अहर्ता लागू होने से पूर्व नियुक्त सभी शिक्षकों टी.ई.टी. अहर्ता अनिवार्यता सम्बंधी आर.टी.ई. एक्ट में संशोधन किए जाने हेतु ज्ञापन देकर आग्रह किया गया।

ज्ञापन के माध्यम से माननीय प्रधानमंत्री जी से यह अनुरोध किया गया है कि,..

  1. न्यायालय का यह आदेश केवल भविष्यलक्षी रूप से लागू किया जाए वर्ष 2010 से पूर्व नियुक्त अथवा अध्यादेश लागू होने के पूर्व से नियुक्त शिक्षकों पर नही।
  2. वैद्य नियमों के अंतर्गत नियुक्त अनुभवी शिक्षकों की सेवा सुरक्षा एवं गरिमा सुनिश्चित की जाए।

3.लाखों शिक्षकों की सेवा समाप्ति अथवा आजीविका संकट से बचाने हेतु आवश्यक नीतिगत अथवा विधायी कदम शीघ्र उठाए जाएं।

इस बावत जिला वरिष्ठ उपाध्यक्ष पंकज वर्मा ने अपने सम्बोधिन में कहा है कि माननीय उच्चतम न्यायालय के इस निर्णय में इस तथ्य को अनदेखा कर दिया है जिसके परिणाम स्वरुप 2010 से पूर्व वैध रूप से नियुक्त तथा अधिनियम लागू होने से पूर्व नियुक्त सभी शिक्षकों की सेवा भी असुरक्षित हो गई है, इस निर्णय से देश भर में लगभग 20 लाख से अधिक शिक्षक गहन चिंतन और असमंजस तथा मानसिक तनाव की स्थिति में है।

जिला महामंत्री उमेश चंद त्रिपाठी ने कहा कि सम्मान, स्वाभिमान और अस्मिता की लड़ाई हेतु राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ का प्रयास से निश्चित रूप से इस निर्णय में आवश्यक संशोधन होगा।

तत्पश्चात कोषाध्यक्ष सगीर अंसारी कहा शिक्षा का अधिकार अधिनियम में शिक्षक नियुक्त होने अथवा प्रोन्नति हेतु टी.ई. टी.उत्तीर्ण होना अनिवार्य किया गया था। परंतु उससे पहले से नियुक्त शिक्षकों को भी टी.ई. टी.उत्तीर्ण होने से संबंधित कोई आदेश नहीं था। सर्वाेच्च न्यायालय द्वारा कुछ तथ्यों के आधार पर टी. ई. टी. अहर्ता अनिवार्य किये जाने का आदेश जारी कर दिया गया। जिससे प्रदेश सहित पूरे भारत के लाखों लाख शिक्षकों की नौकरी खतरे में पड़ गई है। इसलिए ज्ञापन के माध्यम से प्रधानमंत्री से सर्वाेच्च न्यायालय के आदेश से कई वर्षो से कार्यरत शिक्षक की सेवा न प्रभावित हो इसलिए आवश्यक संशोधन किए जाने का अनुरोध किया जा रहा है।

जिला संरक्षक बलदेव प्रसाद पांडेय ने कहा कि, जब शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी तो वह उस समय शिक्षक बनने की सभी अहर्ताएं पूरी करते थे, कई वर्षों के बाद आई नई योग्यता टी.ई. टी. अहर्ता के नियम को पूर्व से कार्यरत शिक्षकों पर लगाया जाना कहीं से भी उचित प्रतीत नहीं होता है इसलिए केंद्र सरकार से आग्रह है कि, आवश्यक संशोधन कर देश के 20 लाख से अधिक शिक्षकों के परिवार को सुरक्षित और संरक्षित करने के लिए आवश्यक कदम उठाएं।

राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ की मांगें

🔴आरटीई एक्ट में संशोधन किया जाए.
🔴सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर पुनर्विचार कर इसे बदला जाए.
🔴लोकसभा में कानून में संशोधन करके शिक्षकों के भविष्य को संरक्षित किया जाए।

आगे की रणनीति

यदि आवश्यकता पड़ी, तो राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ दिनांक 15 सितंबर, 2025 से 25 सितंबर, 2025 के बीच माननीय सांसदों से मिलकर एक्ट में संशोधन कराने का आग्रह करेगा।

ज्ञापन कार्यक्रम में महासंघ के सभी जनपदीय कार्यसमिति के पदाधिकारी, ब्लॉक कार्यसमिति के पदाधिकारी तथा हजारों की संख्या में शिक्षक,शिक्षिकाएं उपस्थित रहे।ज्ञापन कार्यक्रम में अरुण अवस्थी,सुरूर अख्तर, रूपाली शरण श्रीवास्तव, आशीष कुमार,राघवेंद्र प्रताप सिंह,आसिफ खान, विनोद कुमार त्रिपाठी, प्रतिभा पांडे, अजय वर्मा, चंद्रेश राजभर, राजेश मिश्रा,बछराज मिश्र, धनंजय पांडे, मनीष यादव, विनोद गिरि, अमिताभ श्रीवास्तव, अरविन्द वर्मा, प्रेम अवस्थी, मिथिलेश मिश्व, उमेश कुमार, मनोज गुप्ता आदि उपस्थिति रहे।

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