राहुल उपाध्याय नबी अहमद
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Nepal news । नेपाल के संचार तथा सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने पंजीकरण न कराने वाले फेसबुक सहित 26 सोशल नेटवर्क को सरकार ने बंद करने का निर्णय किया है। संचार तथा सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में गुरूवार को मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुङ सहित हुई बैठक ने यह निर्णय लिया है। 25 सितंबर 2025 को हुई मंत्रिपरिषद की बैठक ने नेपाल में संचालन हो रहे सोशल नेटवर्क को एक सप्ताह के भीतर सूचीकरण करने का निर्देश दिया था। उसका उल्लंघन करने के बाद सरकार ने सोशल नेटवर्क निष्क्रिय करने का निर्णय लिया है। मंत्रालय द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार, सूचीकरण के लिए न आने वाले प्लेटफॉर्म को पूरे नेपाल में न चलने के लिए रोक लगाने की बात कही गई है। साथ ही, बंद किए जाने वाले नेटवर्क यदि सूचीबद्ध किए गए तो पुनः खोले जाने की बात भी सरकार ने बताई है। सरकार के ऐसे निर्णय के साथ अब कौन-कौन से सोशल नेटवर्क नेपाल में चल सकेंगे, इस विषय में चारों ओर जिज्ञासा बढ़ी है। संचार तथा सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अनुसार, अब तक टिकटॉक, वाइबर, निम्बुज, वीटक और ओपो लाइव मिलाकर पाँच प्लेटफॉर्म सूचीबद्ध हो चुके हैं। ये प्लेटफॉर्म बंद नहीं होंगे। लेकिन फेसबुक, मैसेंजर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, व्हाट्सएप, ट्विटर, लिंक्डइन, स्नैपचैट, रेडिट, डिस्कॉर्ड, पिंटरेस्ट, सिग्नल, थ्रेड्स, वीचैट, कोरा, टम्बलर, क्लब हाउस, मास्टोडन, रम्बल, मीवी, वीके, लाइन, इमो, जालो, सोल और हाम्रो पात्रो जैसे नेटवर्क बंद होंगे।
सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ सर्वोच्च अदालत में पड़ी याचिका
नेपाल सरकार द्वारा सामाजिक संजाल प्लेटफॉर्म पर लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ सर्वोच्च अदालत में एक याचिका दायर की गई है। वरिष्ठ अधिवक्ता दिनेश त्रिपाठी ने शुक्रवार को अदालत में यह याचिका पेश की है। फिलहाल रिट पंजीकरण की प्रक्रिया में है। सरकार ने बिहिबार रात से फेसबुक, यूट्यूब, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम समेत 26 सोशल नेटवर्क नेपाल में बंद करने का निर्देश दिया था। इंटरनेट सेवा प्रदाताओं ने सरकारी आदेश के बाद इन एप्स को केवल आंशिक रूप से ही चलने योग्य बनाया। त्रिपाठी ने अपनी याचिका में तर्क दिया है कि नागरिकों की आवाज दबाने के उद्देश्य से सरकार ने यह कदम उठाया है। उन्होंने प्रतिबंध को तत्काल खारिज कर सोशल मीडिया को पूर्ववत चालू करने की मांग की है। इस मामले में प्रधानमंत्री एवं मंत्रिपरिषद कार्यालय, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, नेपाल दूरसंचार प्राधिकरण और नेपाल टेलीकॉम को विपक्षी बनाया गया है। याचिका में कहा गया है कि सरकार का यह कदम प्रथम दृष्टि में ही अवैध और असंवैधानिक है। त्रिपाठी का यह भी कहना है कि केवल निर्देशिका के आधार पर सोशल मीडिया बंद करना संविधान का उल्लंघन है। उन्होंने तर्क दिया कि लोकतांत्रिक राज्य में नागरिकों की अभिव्यक्ति पर इस प्रकार का प्रतिबंध चरम मनमानी है।


