रिपोर्ट राहुल उपाध्याय
बहराइच। स्थानीय दीवानी न्यायालय परिसर में विधि पुस्तकों, वाद पत्रों, परिवाद पत्रों व निर्णयों की प्रदर्शनी लगाई गई। प्रदर्शनी का उद्घाटन जनपद न्यायाधीश सतेंद्र कुमार ने फीता काटकर किया। सभी न्यायिक अधिकारियों व अधिवक्ताओं ने घूम घूमकर प्रदर्शनी का अवलोकन किया। प्रदर्शनी में न्यायिक अधिकारियों, बार ऐसोसिएशन एवं हिंदी विधि प्रतिष्ठान के सामूहिक सहयोग से तमाम विधि पुस्तकों विशेष वाद पत्रों एवं विशेष निर्णयों को इकठ्ठा कर प्रदर्शित किया गया। कार्यक्रम का संचालन महामंत्री कर्मवीर सिंह ने किया एवं आज की व्यवस्था वरिष्ठ अधिवक्ता विनय सिंह पम्मू एवं बृजेंद्र सिंह ने किया। मुख्य अतिथि जनपद न्यायाधीश सतेंद्र कुमार ने कहा कि भाषा में नम्रता होनी चाहिए जो हिंदी भाषा में पूर्णत परिलक्षित है। हम मां भारती के पुत्र है और हिंदी की सेवा करके हम मातृ ऋण से मुक्त हो। अधिवक्ता अनूप श्रीवास्तव ने कहा कि शंकर के डमरू से उत्पन्न संस्कृत भाषा के मूल तत्वों से उपजी हिंदी हमारी संस्कृति का द्योतक है। अधिवक्ता संजय तिवारी के कहा कि दूसरे की भाषा जानना सम्मान की बात है किंतु अपनी भाषा की अज्ञानता निराश होने की बात है । अधिवक्ता हरीश शर्मा ने कहा कि शिकागो में विवेकानंद और संयुक्त राष्ट्र संघ में अटल बिहारी बाजपेई जी ने हिंदी की धाक जमाई। अपर जनपद न्यायाधीश राकेश प्रताप सिंह ने कहा कि 1956 में भाषा के आधार पर राज्यों के पुनर्गठन के समय हमारा उद्देश्य किसी प्रकार की ईर्ष्या नहीं बल्कि भाषाओं में स्पर्धा से था। जनपद अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष राम जी बाजपेई ने कहा कि कुंभ के महाआयोजन से हमारी भाषा का प्रचार प्रसार पूरी दुनिया में हुआ। मीडिया प्रभारी अनिल त्रिपाठी ने बताया कि न्यायिक अधिकारियों एवं अधिवक्ताओं की विधि शब्दावली प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी। अंत में संस्थान के अध्यक्ष राम छबीले शुक्ला ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। और निबंध का विषय विधि के क्षेत्र में हिंदी भाषा का योगदान की घोषणा की। कार्यक्रम में मुख्य रूप से अपर जनपद न्यायाधीश पवन शर्मा,अनिल कुमार, आनंद शुक्ल, अरविंद गौतम, प्रतिभा चौधरी, तूबा फातिमा, शिवाली मिश्रा, रूपाली तिवारी , गया प्रसाद मिश्रा, विजय पाठक, पंकज मिश्रा, दिनेश तिवारी, शिवेंद्र सिंह, अभिषेक प्रताप सिंह, राम सूरत वर्मा, काशी नाथ शुक्ल, श्रीनिवास तिवारी सहित तमाम हिन्दी प्रेमी मौजूद थे।

