
Lucknow news today। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित दीनदयाल उपाध्याय राज्य ग्राम्य विकास संस्थान, में आज पं० दीनदयाल उपाध्याय की 57वीं पुण्यतिथि पर संस्थान प्रांगण में स्थित पं० दीनदयाल उपाध्याय की विशाल प्रतिमा पर संस्थान के समस्त अधिकारियों/कार्मिकों द्वारा माल्यापर्ण किया । इस अवसर पर संस्थान के अपर निदेशक, बी०डी० चौधरी की अध्यक्षता में एक बैचारिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। उक्त बैचारिक संगोष्ठी का संचालन संस्थान के डॉ० एस०के० सिंह, सहायक निदेशक द्वारा किया गया।
बैचारिक संगोष्ठी के दौरान संस्थान के अधिकारियों एवं संकाय सदस्यों द्वारा उपस्थिति जनसमूह को सम्बोधित करते हुए बताया कि पं० दीनदयाल उपाध्याय जी एकात्म मानववाद दर्शन के एक प्रमुख प्रणेता एवं प्रचेता होने के साथ स्वत्रंतता संग्राम के आंदेलन में सन 1940 में ही अपनी युवा अवस्था काल में राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना के वशीभूत अपनी आद्वितीय एवं प्रमुख भूमिका निभायी। उपाध्याय जी एक राजनीतिक व्यक्तित्व की विभूति होने के साथ, रचात्मक लेखक एवं प्रसिद्व सम्पादक थे। इन्होंने राष्ट्र धर्म प्रकाशन के सम्पादक का दायित्व भी निभाया है। समाजिक सुधारों के क्षेत्र में भी उनका महात्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने जातिवाद और समाजिक भेदभाव के विरूद्व अवाज उठाई और समानता तथा न्याय के सिद्वान्तों पर जोर दिया।

बैचारिक संगोष्ठी के अध्यक्षीय सम्बोधन के अन्तर्गत संस्थान के अपर निदेशक, बी०डी० चौधरी द्वारा बताया गया कि पं० दीनदयाल उपाध्याय एक महान विचारक, नेता और समाज सुधारक थे। उनका जीवन और कार्य भारतीय राजनीति और समाज के लिये प्रेरणा का स्रोत है। उनके द्वारा प्रस्तुत समग्र मानववाद का सिद्वान्त आज भी भारत के विकास के लिये एक मार्गदर्शक सिद्वान्त के रूप में कार्य करता है। उनके विचारों का प्रचार-प्रसार कर के, हम एक ऐसा समाज बना सकते है, जो समृद्व, नैतिक और संस्कृतिक रूप से सशक्त हो।

उक्त संगोष्ठी के प्रबन्धन एवं आयोजन के दृष्टिगत संस्थान के उप निदेशक सुबोध दीक्षित, डॉ० नीरजा गुप्ता, सरिता गुप्ता, सहायक निदेशक डॉ० संजय कुमार, डॉ० अशोक कुमार, आलोक कुशवाहा, डॉ० योगेन्द्र कुमार, डॉ० सीमा राठौर, डॉ० गरिमा सिंह, राजीव कुमार दुबे तथा हेमेन्द्र शर्मा, वरिष्ठ सलाहकार का प्रमुख व सराहनीय योगदान रहा।

