रिपोर्ट बबलू सेंगर

Jalaun news today । शिक्षा का प्रसार व प्रसार करने के नाम पर पंजीकरण कराने व मान्यता प्राप्त करने वाले प्राइवेट स्कूल व्यापार करने लगे हैं। समाजसेवा के व्यापार बनने के कारण इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावक परेशान हैं। विद्या के मंदिर कहे जाने वाले स्कूलों के संचालकों द्वारा पुस्तकों के नाम पर कई जा रही मनमानी व वसूली जा रही कीमतों पर जिलाधिकारी के निर्देश के बाद भी रोक नहीं लग पा रही है।
सरकार एक तरफ विभिन्न प्रचार माध्यमों से उपभोक्ताओं को जागरूक कर रही है। वहीं दूसरी ओर खुले स्कूलों के संचालकों व पुस्तक विक्रेताओं से लुटने को मजबूर उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए सरकार कोई कदम नहीं उठा रही है। सरकार से मान्यता लेते समय व सोसायटी का पंजीकरण कराते समय संचालक शिक्षा का प्रसार व प्रसार करना उदेश्य बताते हैं। मान्यता मिलते ही वह अपने उद्देश्य को भूल जाते हैं तथा लक्ष्य सिर्फ धनोपार्जन बना लेते हैं। विद्या के मंदिरों के व्यापारिक प्रतिष्ठान बनने से जनता परेशान हैं। सरकार ने भले ही एन सी आर टी का पाठ्यक्रम चलाने के कहा हो किन्तु प्राइवेट स्कूलों में किताबों के नाम पर मनमर्जी चल रही है। जिलाधिकारी राजेश कुमार पाण्डेय ने किताबों, ड्रेस व स्टेशनरी के नाम पर चल रही खुली लूट पर रोक लगाने का प्रयास किया था। स्कूल के प्रधानाचार्यों के साथ बैठक कर बेलगाम लूट बंद करने के निर्देश थे। इसके बाद भी स्कूल संचालकों ने जनहित व जिलाधिकारी के निर्देश को नजर अंदाज कर लूट जारी रखे हुए हैं। अभिभावकों से पुस्तकों के नाम पर मची लूट से चल रही है। नगर के प्रबुद्धजन उमेश दीक्षित, बटुकनाथ शुक्ला, महेश चन्द्र श्रीवास्तव, बादाम यादव कहते हैं नगर व आसपास संचालित स्कूलों में माफिया राज चल रहा है। बच्चों को या तो स्कूल से या एक निर्धारित दुकान से महंगी किताबें खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है। औने पौने दाम प्रिंट वाली किताबों की खरीद पर कोई छूट नहीं दी जा रही है। छूट मांगने पर अभिभावक भगा दिया जाता है। चूंकि स्कूल में पाठ्यक्रम निर्धारित न होकर प्रकाशक निर्धारित किया जा रहा है तथा अभिभावकों को लूटा जा रहा है। छात्रों ने उपजिलाधिकारी से पुस्तकों के नाम मची लूट को कम कराने की मांग की है।
