भारत का संविधान लोकतंत्र की आत्मा। इं• भीमराज
(राकेश यादव)
Lucknow news today । लखनऊ में गणतंत्र दिवस के मौके पर बौद्ध उपासक महासभा, साधन सहकारी समिति, शिवगढ़ ब्लॉक में एक संगोष्ठी आयोजन किया गया। इसमें मुख्य अतिथि के रूप सेवानिवृत अधिशासी अभियंता भीम राज शामिल हुए।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि देश में 26 जनवरी 1950 को पूर्ण रूप से भारतीय संविधान लागू हुआ था। जिसके अंतर्गत समानता, स्वतंत्रता और शिक्षा का समान अधिकार प्रत्येक भारत के नागरिक को प्राप्त हुआ। जिस प्रकार भारतीय संविधान में वयस्क मताधिकार के अंतर्गत प्रत्येक भारतीय को चाहे वह अनपढ़ हो, निर्धन हो अथवा निरीह हो, सभी को अपने मत के अधिकार का प्रयोग कर एक सुयोग्य जनप्रतिनिधि को चुनने का अधिकार भारतीय संविधान द्वारा मिला है। यही नहीं संविधान में नीति निर्देशक तत्व का उल्लेख करके शासन को नागरिकों की ओर से एक निश्चित स्थाई घोषणा पत्र दे दिया गया है। जिसका मूल्यांकन प्रत्येक निर्वाचन के समय देशवासियों को करने का अधिकार है। स्वतंत्र न्यायपालिका के साथ-साथ स्वतंत्र और निष्पक्ष निर्वाचन की व्यवस्था करने के लिए निर्वाचन आयोग, सरकारी ब्यय का हिसाब- किताब रखने के लिए लेखा महानियंत्रक, सेवाओं को राजनीतिक दबाव से पृथक रखने के लिए लोक सेवा आयोग इत्यादि का पूरा प्रबंध संविधान में किया गया है।
श्री भीम राज ने बताया कि डॉ• अंबेडकर ने प्रत्येक विषय में चाहे वह राज्यपाल की नियुक्ति हो या उच्च एवं उच्चतम न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति, अपने विचार स्पष्ट रूप से व्यक्त किए हैं। संविधान के निर्माता के रूप में प्रत्येक विषय पर डा• अंबेडकर ने अपना मत स्पष्ट किया है। भारतीय संविधान में संविधान संशोधन की भी व्यवस्था है। उन्होंने ऐसा संविधान बना कर प्रत्येक भारतवासी को एक बेहतर जीवन जीने का अधिकार दिया। संविधान भारत के प्रत्येक नागरिक को उनके मूल अधिकारों को देता है। कार्यक्रम में मुख्य रूप से आर रावत, अमरीश बौद्ध, चंदन सोनकर एवं जितेंद्र त्यागी आदि लोग बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।