भक्ति ज्ञान और वैराग्य का माध्यम है श्रीमद् भागवत कथा: आचार्य मिथिला शरण जी महराज

रिपोर्ट राहुल उपाध्याय

बहराइच। श्रीमद् भागवत कथा भक्ति ज्ञान और वैराग्य का माध्यम है।भगवान प्रेम और भक्ति के भूखे होते हैं। जो भी प्राणी भगवान को सच्चे हृदय से याद करता है। उनका अनुसरण करता है। भगवान उसकी मनोकामना पूर्ण करते हैं। और साक्षात दर्शन नहीं देते हैं। यह बात अयोध्या धाम के आचार्य मिथिला शरण जी ने कहा।

वह नगर पंचायत रूपईडीहा के मोहल्ला घसियारन टोला में प्राचार्य एवं संस्थापक सीमांत इंटर कॉलेज सुभाष चंद्र पांडे के घर पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा कह रहे थे। समापन अवसर पर उन्होंने लोगों को प्रेम से रहने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा का सार भगवान विष्णु और विशेष रूप से श्री कृष्ण की कथा है। जो भक्ति, ज्ञान और वैराग्य के माध्यम से सांसारिक बंधनों से मुक्ति दिलाकर परमात्मा की प्राप्ति कराती है। यह सभी वेदों का सार है।और इसे सुनने मात्र से मनुष्य के जन्म जन्मांतर के पाप नष्ट होते हैं। और वह भवसागर से पार हो जाता है। कथा का मुख्य उद्देश्य मनुष्य को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाना और ईश्वर के सानिध्य से शाश्वत सुख दिलाना है। आचार्य मिथिला शरण जी महाराज ने श्रोताओं को प्रेरित करते हुए कहा कि भगवान कृष्ण के वचनों और भगवान राम के आदर्शों का अनुसरण करने से जीवन सफल होता है।

उन्होंने मोक्ष और सद्गति के लिए भागवत कथा को एक महत्वपूर्ण मार्ग बताया। श्रीमद् भागवत कथा के आयोजक सुभाष चंद्र पाण्डेय, सरिता पाण्डेय रहे।

इस अवसर पर आयोजक के सुपौत्र अभ्यंत पांडेय का मुंडन संस्कार भी हुआ। श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण पान अमरेन्द्र पांडेय, कौशलेंद्र पांडेय, विकास पाण्डेय, विनीत पांडेय, देवेंद्र पाण्डेय, विधा पाण्डेय समेत काफी संख्या में क्षेत्र के लोगों ने प्रतिदिन भाग लिया। समापन अवसर पर कन्याओं को भोज कराया गया और हवन-यज्ञ के साथ कथा का विधिवत समापन हुआ। बाद में भंडारे का आयोजन किया गया।

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