एसआईआर बना सत्ता–विपक्ष की जंग का बारूद: फर्जी मतदाताओं की सफाई या महज आरोप

अखिलेश यादव ने टिकट देने का बनाया मानक, सत्तापक्ष पर तेज प्रहार, कांग्रेस का बीएलओ पर भारी दबाव का आरोप
आप ने एक महीने के एसआईआर को करार दिया साजिश

संजय सिंह

बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद उत्तर प्रदेश में विपक्ष अपनी रणनीति को नए सिरे से तैयार करने में जुट गया है। मिशन 2027 के संभावित समीकरण को लेकर बंद कमरों में बैठकों का दौर तेज हो गया है। एक तरफ सत्तारुढ़ भाजपा जहां संगठन के कार्यक्रमों के जरिए जनता के बीच अपनी पैठ मजबूत करने की कोशिश में जुटी है और उसके नेता यूपी में हैट्रिक लगाने का दावा कर रहे हैं, तो दूसरी ओर विपक्ष दल भी हर एक वोट को अहम मान रहे हैं। इसलिए विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर कड़ी हिदायत दी गई है। सपा, कांग्रेस, बसपा ने पदाधिकारियों को इसे लेकर बूथ लेवल पर डटे रहने को कहा है। वहीं अखिलेश यादव ने तो इसे विधानसभा चुनाव में टिकट देने का अहम मानक तक तय कर दिया है।

एसआईआर पर लापरवाह नेताओं को टिकट नहीं देंगे अखिलेश

बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन ने इसे अहम मुद्दा बनाया था। राहुल गांधी ने वोट चोरी के मुद्दे के जरिए जनता के बीच माहौल बनाने की कोशिश की। हालांकि मतदाताओं के बीच ये सफल नहीं हुआ और एनडीए ने धमाकेदार जीत दर्ज की। लेकिन, विरोधी दल अभी भी पर्दे के पीछे खेल होने का आरोप लगा रहे हैं। इसलिए यूपी में एसआईआर को लेकर समाजवादी पार्टी बेहद सतर्क हो गई है। पार्टी नेताओं को इस बात के निर्देश दिए गए हैं कि एसआईआर में किसी भी हाल पर अपने समर्थकों का वोट नहीं कटने दिया जाए। इसके लिए गांव-गांव, घर-घर जाकर लोगों को जागरूक करने को बोला गया है। एसआईआर गणना पत्र भरवाने में उनकी मदद करने को भी कहा गया है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि सपा मुखिया अखिलेश यादव ने साफ तौर पर कहा है कि जिस विधानसभा में जिसकी लापरवाही से वोट कटेगा उसे टिकट नहीं दिया जाएगा।

सपा मुख्यालय पर जिलों से लिया जा रहा फीडबैक

समाजवादी पार्टी के नेताओं के अनुसार, एसआईआर गणना पत्र भरने में लापरवाही 2027 में भारी पड़ सकती है। अगर किसी भी वजह से उनके समर्थक मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से कट गए, तो चुनाव में ये भारी पड़ सकता है। पार्टी नेता भाजपा के इशारे पर इस तरह की कोशिश का आरोप भी लगा रहे हैं। इसलिए अखिलेश यादव ने एक-एक वोट बचाने के लिए हर संभव जतन करने को कहा है। पार्टी मुख्यालय पर एसआईआर गणना पत्र भरवाने के लिए बतौर विशेषज्ञ केके श्रीवास्तव को जिम्मेदारी सौंपी गई है। जनपदों से आने वाले पार्टी नेताओं के साथ इस संबंध में कई बैठकें भी हो चुकी हैं। हर जिले के नेता और पदाधिकारियों को एसआईआर गणना पत्र सही तरीके से भरवाने के बारे में बताया जा रहा है। खासतौर पर सपा समर्थक मतदाताओं पर विशेष ध्यान केंद्रित करने पर जोर दिया जा रहा है, जिससे 4 दिसंबर तक सभी एसआईआर की प्रक्रिया पूरी कर सकें।

विपक्ष के निशाने पर निर्वाचन आयोग

इस मुद्दे को सपा कितनी गंभीरता से ले रही है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अखिलेश यादव निर्वाचन आयोग से एसआईआर प्रक्रिया का समय तीन माह बढ़ाने की भी मांग कर चुके हैं। उन्होंने सभी मतदाताओं का वोट सुनिश्चित करने के लिए बीएलओ को सही ट्रेनिंग देने की भी मांग की है। सपा अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग बिना पर्याप्त तैयारी के एसआईआर करा रहा है। भाजपा सरकार ने जनता को एसआईआर में उलझा दिया है। इसलिए सपा नेता और कार्यकर्ता बूथों पर सावधानी और सतर्कता के साथ एसआईआर में लोगों की मदद करें। सभी मतदाताओं का वोट बनवाएं। किसी मतदाता का वोट कटने नहीं पाए। इसके साथ ही गणना पत्र भरने में आ रही समस्याओं को लेकर सपा की ओर से निर्वाचन अधिकारी से शिकायतें भी की जा रही हैं। पार्टी मुख्यालय पर जनपदों से प्रतिदिन फीडबैक लेते हुए उसके आधार पर कदम उठाये जा रहे हैं। सभी सांसदों, विधायकों, विधानसभा चुनाव में टिकट के दावेदारों को अपने-अपने क्षेत्रों में रहने को कहा गया है। उनसे कहा गया है कि वे रिपोर्ट तैयार कराएं कि उनके स्तर पर कितने गणना पत्र भरवाए गए और कितनों के वोट कटने से बचाया गया। इसी रिपोर्ट के आधार पर उनकी दावेदारी मजबूत मानी जाएगी।

बीएलओ उत्पीड़न बना मुद्दा, सियासी घपलेबाजी का आरोप
एसआईआर को लेकर परेशान मतदाताओं के साथ समाजवादी पार्टी बीएलओ पर दबाव का मुद्दा भी जोरशोर से उठा रही है। अखिलेश यादव ने आरोप लगाया है कि एसआईआर का असंभव टारगेट देकर बीएलओ के साथ अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है। उन पर मानसिक दबाव बनाया जा रहा है, जो बेहद निंदनीय और घोर आपत्तिजनक है। सपा अध्यक्ष ने कटाक्ष किया है कि इन हालातों में अगर ईमानदारी से चुनाव हो जाएं तो भाजपाइयों के घरवाले तक भाजपा को वोट न दें। भाजपा जाए तो शांति आए। उन्होंने कहा कि जो पूरे नहीं हो सकते ऐसे असंभव लक्ष्य देकर, बीएलओ से अपना घर-परिवार भूलकर मशीन का तरह काम करने की उम्मीद करना अमानवीय है। भाजपा ये सब काम अपने चुनावी महाघोटाले के लिए कर रही है, लेकिन सवाल ये है कि जो बीएलओ हताश होकर नौकरी छोड़ रहे हैं या जो अपनी जान तक दांव पर लगा दे रहे हैं, वो इस सियासी घपलेबाजी का खामियाजा क्यों भुगतें। बीएलओ को किसी भी गलती के लिए जिम्मेदार ठहराना किसी भी परिस्थिति में न्याय संगत नहीं है। देश भर के कर्मचारियों को एकजुट होकर अपनी आवाज उठानी चाहिए। हम हर बीएलओ के साथ हैं।

न्यायिक जांच की मांग

वहीं कांग्रेस ने एसआईआर में तैनात बीएलओ व अन्य अधिकारियों व कर्मियों के आत्महत्या करने, ब्रेन हैमरेज व हार्ट अटैक से हुई मौत के कारणों की न्यायिक जांच कराए जाने की मांग की है। प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने इसे लेकर मुख्य निर्वाचन अधिकारी को पत्र लिखा है। अजय राय ने कहा है कि विभिन्न माध्यमों से एसआईआर में लगे बीएलओ व कर्मियों पर जल्द से जल्द काम पूरा करने के लिए उनके वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा दबाव डाले जाने की सूचनाएं मिल रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि उन पर विधि विरुद्ध काम करने व धर्म देखकर नाम काटने के लिए धमकियां भी दी जा रही हैं। अधिकारी चुनाव आयोग का नाम लेकर अधीनस्थों को बर्खास्त करने व मुकदमा दर्ज कराने की धमकी भी दे रहे हैं। एसआईआर के लिए केवल एक माह का समय दिए जाने से भी कर्मचारी भारी दबाव में हैं। इसके चलते वे आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं। ब्रेन हैमरेज व हार्ट अटैक से उनकी जान जा रही है। अजय राय ने बरेली, गोंडा, लखनऊ, फतेहपुर व देवरिया में हुई घटनाओं का हवाला देते हुए उनकी न्यायिक जांच कराए जाने की मांग की है।

वॉररूम की ली जाए मदद

कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव व उत्तर प्रदेश के सह प्रभारी धीरज गुर्जर ने बूथवार इस प्रक्रिया पर नजर रखने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से मतदाताओं के नाम सूची में जुड़वाने को कहा है। आपत्तियों का निस्तारण कराने के लिए वॉररूम का सहयोग लेने को बोला गया है। गुर्जर ने पार्टी नेता, विधानसभा प्रत्याशी व पदाधिकारियों को सामंजस्य बनाकर बूथवार काम व मॉनिटरिंग करने पर जोर दिया है।

डेढ़ साल बाद चुनाव तो एसआईआर के लिए एक महीना क्यों ? आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सासंद संजय सिंह ने

एसआईआर को देश का सबसे बड़ा चुनावी घोटाला करार दिया है। संजय सिंह ने कहा कि यूपी और कई राज्यों में एसआईआर के नाम पर 17 बीएलओ की जान जा चुकी है, जबकि 563 लोगों को नोटिस भेजे गए हैं। 181 आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की नौकरी खत्म कर दी गई और हजारों परिवार भय और उत्पीड़न का शिकार हो रहे हैं। आप सांसद ने सवाल उठाया है कि जब चुनाव डेढ़ साल बाद होने हैं तो सरकार को एक ही महीने में पूरा एसआईआर क्यों चाहिए? क्या यह चुनाव सुधार है या विपक्ष और वंचित समाज को वोटर लिस्ट से साफ करने की सुनियोजित साजिश? आम आदमी पार्टी ने रोजगार दो, सामाजिक न्याय दो अभियान शुरू किया है। संजय सिंह का कहना है ​कि अब यह पदयात्रा पूरे उत्तर प्रदेश में आठ चरणों में चलेगी। पहला चरण 25 दिसंबर से 29 दिसंबर तक रामपुर, मुरादाबाद और अमरोहा जिलों में निकाला जाएगा।

मायावती एसआईआर पर गंभीर, दलित वोटरों को रिझाने पर फोकस

बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी एसआईआर पर गंभीर होकर ध्यान देने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं करने पर लोग वोट के अपने संवैधानिक अधिकार से वंचित रह जाएंगे। कांशीराम के परिनिर्वाण दिवस पर 9 अक्टूबर को लखनऊ में रैली के बाद मायावती अब नोएडा में शक्ति प्रदर्शन करने जा रही हैं। वह 6 दिसंबर को डॉ. भीमराव आंबेडकर के परिनिर्वाण दिवस पर राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल पर होने वाली श्रद्धांजलि सभा के जरिए चुनावी तैयारी को लेकर कार्यकर्ताओं और समर्थकों को संदेश देंगी। इस आयोजन के जरिए बसपा सुप्रीमो दलित मतदाताओं को साधने की कोशिश करेंगी। चुनाव दर चुनाव बसपा की सिकुड़ती जमीन के कारण पार्टी सुप्रीमो अब दलित और मुस्लिम वोटबैंक को एक बार फिर अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही हैं।

कांग्रेस-सपा ने बनाए फर्जी वोटर, अब होंगे बाहर

इस माहौल में एसआईआर को लेकर यूपी में सत्ता और विपक्ष के बीच तकरार बढ़ती जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जहां इसे हर व्यक्ति की जिम्मेदारी बताते हुए महत्वपूर्ण प्रक्रिया को पूरा करने की अपील कर चुके हैं। वहीं उनकी सरकार के कैबिनेट मंत्री धर्मपाल सिंह ने आरोप लगाया है कि बड़ी संख्या में कांग्रेस और सपा जैसे विपक्षी दल के लोगों ने फर्जी मतदाता बना रखे हैं। एसआईआर से इन दलों के पेट में दर्द हो रहा है। एसआईआर के बाद फर्जी मतदाता बाहर हो जाएंगे। उन्होंने विपक्ष के आरोपों पर कहा कि उनमें घबराहट इस कारण है कि वह अब भविष्य में कभी चुनाव नहीं जीत पाएंगे। 2027 में भी भाजपा प्रदेश में तीसरी बार भारी बहुमत से सरकार बनाएगी। कांग्रेस और सपा का अब वजूद खत्म होने जा रहा है।

संजय सिंह राजनीतिक मामलों की जानकारी में एनसाइक्लोपीडिया माने जाते हैं