UP News today — उत्तर प्रदेश विधान सभा में आज “जन प्रतिनिधियों को सशक्त बनाना : एआई के माध्यम से संचार को मजबूत करना” विषय पर एक विशेष सत्र आयोजित हुआ, जिसकी मुख्य विशेषता विधान सभा अध्यक्ष सतीश महाना का नेतृत्व और दूरदर्शी दृष्टिकोण रहा। सत्र में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडे, संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना, एवं विभिन्न दलों के कई माननीय सदस्यों ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन आई टी विशेषज्ञ डा. हर्षित और आशुतोष तिवारी ने किया और विषय की रूपरेखा प्रस्तुत की।
उद्घाटन संबोधन में श्री महाना ने कहा कि तकनीक समय के साथ बदलती रहती है, लेकिन हमारे वरिष्ठों के बताए आदर्श और मार्गदर्शन हमें सदैव सही दिशा देते हैं। उन्होंने 15 वर्ष पूर्व के दौर का उल्लेख करते हुए कहा कि उस समय मोबाइल को विज्ञान का अद्भुत चमत्कार माना जाता था, और आज वही तकनीक हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि बदलते समय में विधायकों के लिए नई तकनीकों को अपनाना अनिवार्य हो गया है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के माध्यम से न केवल कार्यकुशलता बढ़ाई जा सकती है, बल्कि जनता के साथ संवाद को और अधिक पारदर्शी व त्वरित बनाया जा सकता है। श्री महाना ने कहा, “तकनीक केवल सुविधा का माध्यम नहीं है, यह हमारे काम करने के तरीके को पूरी तरह बदलने की क्षमता रखती है।”

नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडे ने भी अध्यक्ष महाना की सराहना की और कहा कि उन्हें खुशी है कि विधान सभा में नई तकनीक को बढ़ावा मिल रहा है। उन्होंने स्मरण किया कि एक समय मोबाइल फोन भी दुर्लभ थे, और आज AI जैसी उन्नत तकनीकें विधायी कार्य को और सशक्त बना रही हैं।
संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने कहा कि विधान सभा का इतिहास अब तकनीकी माध्यम से संरक्षित हो रहा है और यह अध्यक्ष महाना की दूरदर्शी सोच का परिणाम है। उन्होंने AI को “ज्ञान का स्रोत” बताते हुए कहा कि तकनीक का सही उपयोग विधायकों को अधिक प्रभावी बना सकता है।
सत्र के दौरान विभिन्न सदस्यों ने अपने विचार और प्रश्न रखे — जिनमें सचिन यादव (सपा), डा. सुरभि, शशांक त्रिवेदी, डा. वर्मा, डा. रागिनी, डा. पल्लवी और डा. अभय शामिल रहे। सभी ने इस बात पर सहमति जताई कि AI जैसी तकनीकें जनप्रतिनिधियों को अधिक सशक्त बनाकर जनता की सेवा में नई संभावनाएँ खोलती हैं।
इस अवसर पर “AI-Driven Governance for Legislators” शीर्षक हैंडबुक का विमोचन भी किया गया। इस हैंडबुक में AI की मूल अवधारणाओं से लेकर बहुभाषी संचार, स्वचालित नीति विश्लेषण, केस स्टडी और नैतिक उपयोग के दिशा-निर्देश तक की जानकारी दी गई है। प्रस्तावना में अध्यक्ष महाना ने लिखा है कि विधायकों की जिम्मेदारियां बढ़ रही हैं और ऐसे उपकरण आवश्यक हैं जो निर्णय लेने और जनसेवा को सरल, त्वरित और प्रभावी बनाएं।
सत्र में तकनीकी विशेषज्ञों ने बताया कि कैसे AI का उपयोग वॉइस-टू-टेक्स्ट, भावना विश्लेषण, अनुवाद और दस्तावेज़ तैयार करने में किया जा सकता है। प्रस्तावित AI समाधानों में एकीकृत डैशबोर्ड और चैटबॉट शामिल हैं, जो विधायकों और जनता दोनों के लिए सूचनाओं को तुरंत उपलब्ध कराएंगे।
समापन में अध्यक्ष महाना ने कहा कि AI का प्रयोग केवल तकनीक अपनाने का कार्य नहीं है, बल्कि यह जिम्मेदारी, पारदर्शिता और जनहित में सुधार का साधन है। उन्होंने विश्वास जताया कि सही दिशा में इसका उपयोग विधायकों को जनता से और अधिक जोड़ने, पारदर्शिता बढ़ाने और शासन को बेहतर बनाने में सहायक होगा।

