(रिपोर्ट – बबलू सेंगर)

Jalaun news today । जीवन में जो जैसा करता है, वैसा ही फल मिलता है। दुख तब होता है, जब किसी चीज पर हमारा मन लग जाता है। यह ग्राम रूरा मल्लू में आयोजित नौ कुंडीय श्रीराम महाया और श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन कथावाचक पंडित शिवम नगाइच ने कही।
क्षेत्रीय ग्राम रूरा मल्लू में गऊ आश्रम परिसर में आयोजित नौ कुंडीय श्रीराम महायज्ञ और श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन कथावाचक पंडित शिवम नगाइच ने श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहा कि कलियुग में वह व्यक्ति महान है, जिसे भगवान की लीला सुनने का अवसर प्राप्त होता है। मन की इच्छाओं का अंत कभी नहीं होता है। ऐसे में राम नाम से ही मुक्ति मिलती है। यह विश्व ही भगवान की मूर्ति है, विश्व का ही व्यापक अर्थ है विष्णु। विष्णु की नाभि से ब्रह्म का जन्म हुआ और ब्रह्म के दाहिने अंग से स्वायंभुव मनु, बांए अंग से शतरूपा, इन्हीं से जड़-चेतन, स्थावर, जंगम सभी प्राणियों की उत्पत्ति हुई। तो मनु से मानव हुए इसलिए मानव भगवान के ही अंश हैं। मनुष्य यदि सद्कार्य करे तो वह फिर से भगवान में मिल सकता है। बताया कि मनुष्य धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति करने आया है। यदि इनमें से एक से भी वह वंचित रहा तो उसका मानव जीवन असफल हो जाता है। यज्ञाचार्य आचार्य आदित्य उपाध्याय व उपयाज्ञाचार्य शिवम शास्त्री ने यज्ञ में हवन आहुतियां दिलाईं। इस मौके पर यज्ञपति दिलीप गुर्जर, पारीक्षित प्रमोद पाल, राजेंद्र पाल, पंकज पटेल, राजेंद्र बाथम, काले याज्ञिक, कमलेश पटेल, रामकुमार गुप्ता, अशोक याज्ञिक, पप्पू याज्ञिक, महादेवी, गुड्डी विमला, आरती, महिमा, प्रतिज्ञा, प्रीति, वंदना आदि मौजूद रहे।
