रिपोर्ट बबलू सेंगर

Jalaun news today । क्षय रोग मुक्त रहे उत्तर प्रदेश अभियान के तहत नगर पालिका परिषद क्षेत्र के अंतर्गत चिन्हित क्षय रोगियों को गोद लिया गयाा। इस दौरान सीएचसी में आयोजित कार्यक्रम में पौष्टिक आहार पोटली का वितरण रोगियों को किया गया।
सीएचसी में डॉ. केडी गुप्ता ने बताया कि क्षय रोग एक जीवाणु जनित रोग है, जो मनुष्यों के शरीर के किसी भी अंग में हो सकता है। इसमें फेफड़े की टीबी मुख्य है। वर्ष 1943 से पहले जब टीबी की कोई दवाएं नहीं थीं तो इसका इलाज मुख्यत अच्छा भोजन, अच्छी चिकित्सकीय देखभाल और शुद्ध हवा द्वारा होता था, जिसे सेनेटोरियम इलाज के नाम से जाना जाता था। टीबी की पहली दवा की खोज वर्ष 1943 में की गई थी। विश्व में प्रतिवर्ष 14 लाख मौतें टीबी से होती हैं, इनमें से एक चौथाई से अधिक मौतें अकेले भारत में होती हैं। इसीलिए टीबी अत्यधिक खतरनाक एवं जानलेवा बीमारी मानी जाती है। इसकी भयावहता को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश से टीबी को 2025 तक समाप्त करने की घोषणा की है। इसी के तहत राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में क्षय रोग मुक्त रहे उत्तर प्रदेश अभियान आहूत किया गया। जिसमें नगर पालिका परिषद क्षेत्र के अंतर्गत चिन्हित क्षय रोगियों को गोद लिया गया। इस दौरान पालिकाध्यक्ष प्रतिनिधि पुनीत मित्तल, सीएचसी अधीक्षक डॉ. केडी गुप्ता ने मरीजों को न्यूट्रीशियन सपोर्ट (पोष्टिक आहार की पोटली) का वितरण किया। साथ ही उनके जल्द क्षय रोग मुक्त होने की कामना की। इस मौके पर डॉ. विनोद राजपूत, डॉ. योगेश आर्या, डॉ. गरिमा सिंह, डॉ. सहन बिहारी गुप्ता, टीबी यूनिट से देवेंद्र कुमार, कुलदीप कुमार, चीफ फार्मासिस्ट पीएन शर्मा, अवधेश राजपूत, डीईओ सचिन गुप्ता, रूपेश साहू आदि मौजूद रहे।