यूपी के वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री ने की प्रेस कॉन्फ्रेंस,, इस महत्वपूर्ण विषय की दी जानकारी

Lucknow news today । उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के राइस मिल उद्योग को प्रोत्साहन देने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अब नॉन-हाइब्रिड धान की कुटाई करने वाली चावल मिलों को रिकवरी प्रतिशत में 01 प्रतिशत की छूट प्रदान की जाएगी। इस निर्णय से प्रदेश के लगभग 2 लाख राइस मिल कर्मचारियों के रोजगार में सुदृढ़ता आएगी और 13 से 15 लाख किसानों को सीधा लाभ मिलेगा।
इस सम्बंध में विस्तार से सूबे के वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने मीडिया को दी। वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने लोकभवन स्थित मीडिया सेंटर में आयोजित प्रेस वार्ता में बताया कि इस योजना के तहत रिकवरी छूट की धनराशि की प्रतिपूर्ति राज्य सरकार अपने बजट से करेगी, जिसके लिए ₹166.51 करोड़ की व्यवस्था की गई है।
उन्होंने बताया कि पहले कई चावल मिलें नॉन-हाइब्रिड धान की कुटाई से इसलिए कतराती थीं क्योंकि इस धान में रिकवरी प्रतिशत अपेक्षाकृत कम होता था, जिससे आर्थिक हानि होती थी। अब इस छूट से न केवल मिलों को राहत मिलेगी बल्कि उद्योग में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, मशीनरी के आधुनिकीकरण को बढ़ावा मिलेगा और नए उद्यमियों में निवेश का विश्वास भी मजबूत होगा।
श्री खन्ना ने बताया कि वर्ष 2018-19 से सरकार हाइब्रिड धान की कुटाई पर 3% रिकवरी की प्रतिपूर्ति पहले से कर रही है। पिछले वर्ष इस मद में ₹94.79 करोड़ की प्रतिपूर्ति की गई थी। अब सरकार ने नॉन-हाइब्रिड धान को भी इस दायरे में शामिल किया है।
उन्होंने कहा कि इस निर्णय से न केवल राइस मिलों की क्षमता बढ़ेगी बल्कि किसानों को अपनी किसी भी धान की प्रजाति बेचने में कोई कठिनाई नहीं होगी। इससे प्रदेश में देशी प्रजातियों के धान की बुआई को भी प्रोत्साहन मिलेगा, साथ ही केंद्रीय पूल में चावल की आपूर्ति समय से पूरी होने की संभावना भी बढ़ जाएगी।
वित्त मंत्री ने बताया कि खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 के लिए प्रदेश में 4100 धान क्रय केन्द्र स्थापित किए गए हैं — पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 1244 केन्द्र और पूर्वी उत्तर प्रदेश में 2856 केन्द्र। अब तक 2,53,339 किसानों ने धान विक्रय हेतु पंजीकरण कराया है। गत वर्ष इसी अवधि में 0.58 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद हुई थी, जबकि इस वर्ष अब तक 1.41 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद हो चुकी है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 2.5 गुना अधिक है।
सरकार को उम्मीद है कि इस कदम से राज्य में धान कुटाई उद्योग को नई ऊर्जा मिलेगी, किसानों की आमदनी बढ़ेगी और रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे।