मनुष्य को अहंकार रहित जीवन जीने की कला सिखाती है भागवत – भागवताचार्य

Bhagwat teaches man the art of living an ego-free life - Bhagwatcharya

(रिपोर्ट – बबलू सेंगर)

Jalaun news today । ईश्वर की सच्ची भक्ति ही हमारे जीवन का मूल मंत्र होना चाहिए। भागवत कथा मनुष्य को अहंकार रहित जीवन जीने की कला सिखाती है। ऐसे में सभी को इसे रुचि के साथ सुनकर, समझने व अपने जीवन में उतारने की जरूरत है। यह बात अखंड परमधाम सेवा समिति के तत्वावधान में स्वामी विवेकानंद इंटर कॉलेज में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन कथा व्यास महामंडलेश्वर ज्योतिर्मयानंद गिरीजी महाराज ने कही।
अखंड परमधाम सेवा समिति के तत्वावधान में स्वामी विवेकानंद इंटर कॉलेज में श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन कथा व्यास महामंडलेश्वर ज्योतिर्मयानंद गिरीजी महाराज ने कहा कि मनुष्य स्वयं एक प्रश्नवाचक चिन्ह है। उसके समक्ष अनेक प्रश्न रहते हैं, जिनके उत्तर उसे चाहिए। परमात्मा की कथा में अनेक प्रश्नों के उत्तर मिलते हैं। हम क्यों आए हैं, किसके द्वारा लाए गए हैं, शरीर छूटने पर कहां जाएंगे, ऐसे प्रश्न हमारे अंदर उठने ही चाहिए। जीवन के रहस्य को जानने की जिज्ञासा से व्यक्ति धर्मात्मा बन जाता है। कथा से जीवन के गूढ़ रहस्यों को समझना आसान हो जाता है। इसलिए जहां भी कथा और धर्म की बात चले वहां सत्संग को अवश्य सुनें। कहा कि बच्चों को शिक्षा के साथ साथ संस्कार भी दें। ताकि जीवन में सफलता के साथ ही वह अपने धर्म को न भूले। यदि बच्चों को संस्कार न दिए तो आगे चलकर न सिर्फ वह समाज के लिए बल्कि आपके लिए भी परेशानी खड़े करने वाले बनेंगे। बचपन से ही बच्चों को धर्म के कार्यों में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित करें। जहां मौका मिले उन्हें अवश्य ही धार्मिक स्थान के दर्शन कराएं उन्हें हमारे गौरवशाली इतिहास से अवगत कराएं। इस मौके पर पारीक्षित महेंद्र सिंह उर्फ मनसुख दादी, उर्मिला सिंह, डॉ. सुरेश साहनी, अरूणकांत दुबे, राजीव माहेश्वरी, नैना साहनी, निशा माहेश्वरी, नविता, अर्चना आदि मौजूद रहे।

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