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भागवत कथा में भागवताचार्य ने इस सुंदर प्रसंग का किया वर्णन,,

Bhagwatcharya described this beautiful incident in Bhagwat Katha,

Jalaun news today ।जालौन क्षेत्र के हरीपुरा स्थित दुर्गा मंदिर पर आयोजित भागवत कथा के अंतिम दिन सुदामा चरित की कथा का वर्णन किया गया।
हरीपुरा में देवेश मिश्रा द्वारा स्थापित दुर्गा मंदिर आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिन कथा व्यास पंडित राजेश मिश्र ने कहा कि संसार के नश्वर भोग पदार्थों की प्राप्ति में अपने समय, साधन और सामर्थ को अपव्यय करने की जगह हमें अपने अंदर स्थित परमात्मा को प्राप्त करने का लक्ष्य रखना चाहिए। इसी से जीवन का कल्याण संभव है। सदा अपने नेत्र, श्रवण और वाणी पर नियंत्रण रखना चाहिए। क्योंकि जैसा हम सुनते हैं, देखते हैं, ठीक वैसा ही आचरण करते हैं। ये आपके ऊपर निर्भर करता है कि आप क्या देख रहे हैं, क्या सुन रहे हैं। देखना और सुनना अगर सुधरा हुआ हो, अच्छा हो तो व्यक्ति कभी गलत रास्ते पर नहीं जाएगा। जो उचित हो हमेशा वहीं देखो और सुनो। भगवान के नाम का आश्रय लो, सत्संग करो, वहीं हमारे साथ जाएगा। परमात्मा ही परम सत्य है। जब हमारा ध्यान परमात्मा में लगेगा तो संसार गायब हो जाएगा। उन्होंने सुदामा चरित की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि मित्रता की सीख भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा से लेनी चाहिए। जियमें विपरीत परिस्थति में भी सुदामा का साथ नहीं छोड़ा। इस मौके पर परीक्षित अशोक मिश्रा, नारायण सिंह, मुन्नी देवी, मुक्ति, राजकुमार, अनुज, कोमल, उर्मिला तिवारी, ममता देवी, मीना, शिवानी आदि मौजूद रहे।

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