(रिपोर्ट – बबलू सेंगर)
Jalaun news today । जालौन नगर में होलिका दहन व रंग अबीर गुलाल उड़ाने का कार्यक्रम पारंपरिक व उल्लास के साथ हुआ। घरों और सड़कों पर जमकर होली खेली गई।
होली का पर्व भक्त प्रहलाद के आग से बच जाने को लेकर मनाया जाता है। होलिका दहन से पर्व की शुरूआत होती है। बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में होलिका दहन होता है। इसके अगले दिन रंग, अबीर व गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएं दी जाती हैं। यदि वैज्ञानिक कारणों की बात करें तो शरद ऋतु की समाप्ति और बसंत ऋतु के आगमन का यह काल पर्यावरण और शरीर में बैक्टीरिया की वृद्धि को बढ़ा देता है। होलिका दहन के बाद तापमान बढ़ता है। परंपरा के अनुसार जब लोग जलती होलिका की परिक्रमा करते हैं तो होलिका से निकला ताप शरीर और आसपास के पर्यावरण में मौजूद बैक्टीरिया को नष्ट कर देता है। प्राचीन धार्मिक व वैज्ञानिक आधार को देखते हुए नगर व ग्रामीण क्षेत्रों में होलिका दहन का कार्यक्रम पारम्परिक व उल्लास के साथ किया गया। नगर क्षेत्र में 22 व ग्रामीण क्षेत्रों में 82 स्थानों पर होलिका दहन की परंपरा निभाई गई। होलिका दहन से पूर्व विधि-विधान से पूजा अर्चना की गई जिसके बाद होली के डांढों में आग लगाई गयी।
मुख्य कार्यक्रम द्वारिकाधीश मंदिर परिसर में हुआ। अगले दिन लोगों ने एक दूसरे को रंग, अबीर व गुलाल लगाकर आपसी मनमुटाव भुलाकर एक दूसरे को गले लगाकर होली की शुभकामनाएं दीं। बताते चलें कि होली के पर्व पर कोई अव्यवस्था न फैले इसके लिए सीओ रामसिंह, कोतवाल विमलेश कुमार, इंस्पेक्टर क्राइम जगदंबा प्रसाद दुबे, एसएसआई शीलवंत सिंह, चौकी प्रभारी दामोदर सिंह हमराहियों के साथ नगर की सड़कों पर बराबर गश्त करते नजर आए।