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Jalaun election : केंद्रीय मंत्री भानुप्रताप को था हैट्रिक का इंतजार,, हुई हार,, चर्चाओं का दौर शुरू

Jalaun news today । देश में 18वीं लोकसभा का चुनाव संपन्न हो चुका है। जालौन गरौठा भोगनीपुर लोकसभा सीट पर भाजपा को केंद्रीय मंत्री की हैट्रिक का इंतजार था। लेकिन वह लगातार तीसरी बार जीतने में सफल नहीं हो सके। उनकी हार का क्या कारण रहा इसको लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म रहा। लोग अपने अपने हिसाब से भाजपा प्रत्याशी की हार और गठबंधन प्रत्याशी की जीत की व्याख्या कर रहे हैं।
जालौन गरौठा भोगनीपुर लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी केंद्रीय मंत्री भानु प्रताव वर्मा से 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में लगातार दो बार जीत हासिल कर चुके थे। पार्टी ने हैट्रिक की आशा में उन्हें तीसरी बार पुनः प्रत्याशी बनाकर चुनावी समर में उतारा। पार्टी को उम्मीद थी कि वह अपना पुराना प्रदर्शन दोहराने में कामयाब होंगे। लेकिन चुनाव परिणाम जब सामने आया तो ऐसा नहीं हो सका। केंद्रीय मंत्री भानु प्रताप वर्मा को गठबंधन प्रत्याशी नारायणदास अहिरवार के सामने 50 हजार से अधिक मतों से हार का सामना करना पड़ा। केंद्रीय मंत्री की हार से नगर में चर्चाओं का बाजार गर्म बना रहा। लोग अपने अपने हिसाब से हार के कारणों की व्याख्या कर रहे थे। हार के कारणों की चर्चा करते हुए आशीष ने बताया कि केंद्रीय मंत्री का आम जनता से जुड़ाव नहीं रहा। पिछले दो चुनावों में जनता ने उन्हें चुनकर संसद भेजा लेकिन वह जनता से दूरी ही अधिक बनाते हुए नजर आए। अखिलेश ने कहा कि केंद्रीय मंत्री रहे भानुप्रताप वर्मा ने उनके पिछले कार्यकाल को छोड़ भी दें तो अपने इन दो लगातार कार्यकाल में कोई ऐसा कार्य नहीं किया कि वह जनता का भरोसा जीतने में कामयाब होते। यही कारण रहा कि जनता ने इस बार क्षेत्र की कमान गठबंधन प्रत्याशी को सौंपी है। देवी दयाल वर्मा ने कहा कि नगर व क्षेत्र की जनता जालौन नगर को रेलवे लाइन से जुड़ा देखना चाहती थी। लेकिन केंद्रीय मंत्री जनता को रेलवे लाइन की सौगात देने में कामयाब नहीं हो सके। एक भाजपा कार्यकर्ता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कार्यकर्ताओं की सुनवाई न करना और आपसी गुटबाजी को दूर न कर पाना केंद्रीय मंत्री को मंहगा पड़ा है। कार्यकर्ताओं की कोई समस्या होने पर उसको सुनकर भी अनसुना कर देने से कार्यकर्ता उनसे दूर हुए हैं। इसी तरह उन्होंने पार्टी में गुटबाजी को दूर करने का भी कोई प्रयास नहीं किया। जिसका खामियाजा उन्हें इस चुनाव में भुगतना पड़ा है।

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