(रिपोर्ट – बबलू सेंगर)
Jalaun news today । महिला दिवस पर महिलाओं की स्थिति पर बराबर चर्चा होती है। लेकिन महिलाओं का स्वयं का प्रति क्या नजरिया है यह स्वयं उन्हें ही तय करना होगा। अब नगर क्षेत्र में भी बेटियां हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर रही हैं। कीर्ति माहेश्वरी होम्योपैथिक में एमडी कर चुकी हैं। तो नंदिनी बाथम एमबीबीएस कर रही हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात महिला सर्जन डॉ. गरिमा सिंह ने सीएचसी में सीजेरियन डिलीवरी की सुविधा शुरू की। रिपोर्टिंग पुलिस चौकी में तैनात एसआई मधु देवी महिलाओं को कानूनी संरक्षण दिलाने का कार्य कर रही हैं। नगर पालिका में प्रधान लिपिक एवं स्वच्छ भारत मिशन प्रभारी सुश्री रविंदर सलूजा स्वच्छता अपनाने के लिए लोगों को जागरूक कर रही हैं। शिक्षक व चित्रकार कृष्णा शिवहरे अपने चित्रों के माध्यम से लोगों को जागरूक कर रही हैं। तोनेहा साहनी बॉलीवुड व मॉडलिंग में करियर बना रही हैं। यह सभी नगर की युवतियों के लिए प्रेरणास्रोत बनी हुई हैं।
महिला दिवस को लेकर इनकी क्या प्रतिक्रियाएं रहीं इस जानिए।
शिक्षक धीरज बाथम की बेटी बस्ती मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई कर जल्द ही डॉक्टर की डिग्री हासिल करेंगी। शिक्षक धीरज बाथम की पुत्री नगर की पहली एमबीबीएस डॉक्टर होंगी। नन्दिनी बाथमअन्य युवतियों के लिए प्ररेणास्रोत बनी नंदिनी बाथम का कहना है कि वह डॉक्टर बनकर सप्ताह में एक दिन गरीबों का निशुल्क उपचार जरूर करेंगी। नंदिनी ने बताया कि वह अपने दादा वैद्य आत्माराम से प्रभावित है। वह उन्हीं की तरह लोगों को सस्ता इलाज देना चाहती हैं।
महिला सर्जन डॉ. गरिमा सिंह ने बताया कि यह बात सही है कि महिलाओं को खुद को साबित करना है लेकिन वे यदि सकारात्मक होकर चीजों की ओर देखेंगी तो समस्याओं के हल भी निकलते जाएंगे। बताया उनकी खुद की सफलता भी इसी बात पर निर्भर है कि उन्होंने स्वयं अपनी पहचान बनाने का प्रयास किया। यदि मुश्किलों से न जूझती तो यहां तक न पहुंच पातीं।
शिक्षक व चित्रकार कृष्णा शिवहरे बताती हैं कि महिलाओं को अपनी स्थिति में स्वयं बदलाव लाना होगा। उन्हें अपने अंदर के हुनर को पहचानना होगा। वह भी अपने हुनर को निखार कर आत्मनिर्भर बनने का प्रयास कर रही हैं। कहा कि स्वयं शिक्षित बनें और दूसरों को भी शिक्षा के लिए प्रेरित करें। स्वयं जागरूक हों और दूसरों को भी जागरूक करें। स्थितियों में तभी बदलाव आएगा।
होम्योपैथी में एमडी कर चुकी कीर्ति माहेश्वरी कहती हैं किमहिलाओं के लिए महिला सशक्तीकरण शब्द सबसे अधिक प्रयोग किया जाता है। महिलाओं को स्वयं अपने भीतर की ताकत को पहचानना होगा। सशक्तीकरण हमारे अंदर की प्रेरणा से आता है। आपके अंदर आत्म सम्मान का यह भाव होगा तो बाहरी दुनिया भी उससे सीधे तौर पर प्रभावित होगी।