रिपोर्ट बबलू सेंगर

Jalaun news today । जालौन के गूढ़ा स्थित शनिधाम पर आयोजित धार्मिक आयोजन की श्रृंखला के सातवें दिन सुदामा चरित की कथा का वर्णन कथा व्यास हर्षिता किशोरी ने किया।
शनिधाम गूढ़ा में धार्मिक आयोजन की श्रृंखला में महंत जमुनादास के नेतृत्व में नौ कुंडीय श्रीराधा वल्लभ महायज्ञ और श्रीमद् भागवत महापुराण का आयोजन किया जा रहा है। भागवत कथा के सातवें दिन कथा व्यास हर्षिता किशोरी ने बताया कि मित्रता कैसे निभाई जाए यह भगवान श्रीकृष्ण और सुदामाजी से समझ सकते हैं। कहा कि सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर अपने मित्र सुदामा से मिलने के लिए द्वारिका पहुंचे। सुदामा ने द्वारिकाधीश के महल का पता पूछा और महल की ओर बढ़ने लगे। द्वार पर द्वारपालों ने सुदामा को भिक्षा मांगने वाला समझकर रोक दिया। तब उन्होंने कहा कि वह कृष्ण के मित्र हैं। इस पर द्वारपाल महल में गए और प्रभु श्रीकृष्ण से कहा कि कोई उनसे मिलने आया है, अपना नाम सुदामा बता रहा है। जैसे ही द्वारपाल के मुंह से उन्होंने सुदामा का नाम सुना प्रभु श्रीकृष्ण सुदामा सुदामा कहते हुए तेजी से द्वार की तरफ भागे। सामने सुदामा सखा को देखकर उन्हें अपने सीने से लगा लिया। वह सुदामा को अपने महल में ले गए और उनका अभिनंदन किया। इस दृश्य को देखकर श्रोता भाव विभोर हो गए। बताया कि सच्चा मित्र वही है, जो अपने मित्र की परेशानी को समझे और बिना बताए ही मदद कर दे। परंतु आजकल स्वार्थ की मित्रता रह गई है। जब तक स्वार्थ सिद्ध नहीं होता है, तब तक मित्रता रहती है। जब स्वार्थ पूरा हो जाता है, मित्रता खत्म हो जाती है। अंत में प्रसाद वितरण किया गया।

वहीं, श्रीराधा वल्लभ यज्ञ में श्रृद्वालुओं ने यज्ञ स्थल की परिक्रमा की। यज्ञाचार्य मिथिलेश महाराज ने आहुतियां दिलाईं। इस मौके पर पुजारी भरत तिवारी, चंद्रभान मिश्रा, नरेश, सुभाष, राकेश अंजली, प्रिया, निशा, नीतू, बबली, रीता, मधु, संतोषी आदि मौजूद रहे।
