रिपोर्ट बबलू सेंगर

Jalaun news today । क्षेत्रीय ग्राम कैंथ स्थित खेरेश्वर हनुमान एवं शंकर मंदिर परिसर में चल रहे 11 कुंडीय श्रीराम महायज्ञ, साप्ताहिक श्रीरामकथा और रामलीला महोत्सव के छठवें दिन रामलीला मंचन में राम वन गमन और माता सीता के हरण का अत्यंत भावपूर्ण और मार्मिक चित्रण किया गया, जिसे देखकर श्रद्धालु भावविभोर हो गए।
रामलीला मंचन में जब राजा दशरथ की आज्ञा पर भगवान श्रीराम, सीता और लक्ष्मण के साथ वनगमन को तैयार होते हैं, तो कौशल्या और सुमित्रा सहित समस्त अयोध्यावासी उन्हें रोकने का प्रयास करते हैं, लेकिन राम धर्मपालन करते हुए वन प्रस्थान करते हैं। पंडित प्रयाग गुरू के निर्देशन में हुए इस दृश्य के मंचन ने दर्शकों की आंखें नम कर दीं। राम का वन में प्रवेश, केवट प्रसंग और ऋषियों से भेंट के दृश्यों को भावपूर्ण संवादों और सुंदर अभिनय से प्रस्तुत किया गया। इसके बाद मंचन में रावण द्वारा माता सीता के हरण का प्रसंग प्रस्तुत किया गया। इस दौरान रामकथा वाचक अनुज महाराज ने कथा के छठवें दिन श्रीराम के वनवास की व्याख्या करते हुए कहा कि श्रीराम का वनगमन केवल एक परिवार की पीड़ा नहीं, बल्कि धर्म, मर्यादा और कर्तव्य के प्रति निष्ठा का प्रतीक है। उधर, यज्ञशाला में यज्ञाचार्य डॉ. शिवशंकर शुक्ला और रामबाबू त्रिपाठी के नेतृत्व में यज्ञ की वैदिक विधियों के अनुसार आहुतियां दी गईं। यज्ञ मंडप से निकली मंत्रोच्चार की गूंज और हवन की सुगंध से वातावरण पूरी तरह पवित्र और आध्यात्मिक हो गया।

