रिपोर्ट बबलू सेंगर
Jalaun news today । जालौन नगर व आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिबंधित औषधीय वृक्ष नीम की अवैध कटान और बिक्री का सिलसिला लगातार जारी होने का आरोप लोगों ने लगाया है। सोमवार को नगर की एक आरा मशीन पर जब प्रतिबंधित नीम की लकड़ी की चिराई की जा रही थी, तो स्थानीय लोगों की नजर इस पर पड़ी।
स्थानीय सहयोगी से मिली जानकारी के अनुसार नीम वृक्ष को आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से अत्यंत उपयोगी और औषधीय माना गया है, यही कारण है कि इसके अंधाधुंध कटान पर रोक लगाई गई है। लेकिन वन विभाग की ढिलाई और मिलीभगत के चलते कई क्षेत्रों में लकड़ी माफिया सक्रिय हैं। आरोप है कि वे पुराने परमिट को दिखाकर लंबे समय तक कटान और बिक्री करते रहते हैं। स्थानीय नागरिकों ने आरा मशीन पर चल रही चिराई पर सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि जब नीम के पेड़ का कटान नियमतः 15 दिन के भीतर ही समाप्त हो जाना चाहिए था, तो कई महीनों बाद भी यह कैसे हो रहा है? यह सीधे तौर पर नियमों की अनदेखी और वन संपदा के दोहन का मामला बनता है। आशंका जताई है कि यह कोई एक घटना नहीं है, बल्कि कई अन्य स्थानों पर भी इसी प्रकार औषधीय वृक्ष और शीशम आदि की अवैध कटान हो रही है। नीम की लकड़ी की बाजार में अच्छी कीमत मिलने के कारण इसकी मांग अधिक रहती है, और इसी का फायदा उठाकर कुछ लोग अवैध तरीके से व्यापार कर रहे हैं। मांग की जा रही है कि वन विभाग इस मामले की गंभीरता से जांच करे और पुराने परमिटों की आड़ में हो रही अवैध गतिविधियों पर तत्काल रोक लगाए।
मामले में जब वन क्षेत्राधिकारी हरीकिशोर शुक्ला से बात की गई तो उन्होंने बताया कि नीम के पेड़ की कटान के लिए मार्च माह में अनुमति दी गई थी लेकिन यहां सवाल उठता है कि नियमानुसार, परमीशन मिलने के 10 से 15 दिन के भीतर ही लकड़ी की कटान और निस्तारण कर देना होता है जबकि अब जुलाई का महीना चल रहा है, और उस पुरानी अनुमति के नाम पर आज भी नीम की लकड़ी को काटा व बेचा जा रहा है।