कल से शुरू हो रहे नवरात्र,, सजने लगे पूजा पंडाल,,

रिपोर्ट बबलू सेंगर

Jalaun news today । गुरुवार से देवी मां दुर्गा की पूजा-आराधना का पर्व शारदीय नवरात्र शुरू हो रहे हैं। हिंदू धर्म में नवरात्र पर्व का विशेष महत्व होता है। कुल चार नवरात्र में चैत्र और शारदीय नवरात्रि पर घर-घर देवी मां विराजमान होती हैं। नवरात्र पर देवी पांडालों को सजाने का काम पूरा हो चुका है। आज पूर्ण विधि विधान से देवी पांडालों में देवी प्रतिमाओं की स्थापना की जाएगी।
गुरुवार से देवी आराधना का पर्व शुरू होने वाला है। इसके पहले ही दिन कलश (घट) स्थापना होती है। साथ में अखंड ज्योति और जवारे यानी धान बोने की भी परंपरा है। पंडित देवेंद्र शुक्ला बताते हैं कि देवी स्थापना और उनकी पूजा अर्चना के लिए मिट्टी का कलश, दीपक, अनाज और सोलह श्रृंगार की चीजें के अलावा घर को सजाने के लिए वंदनवार और रंगोली की व्यवस्था करें। जिस जगह कलश स्थापना और देवी की चौकी बैठाना हो, उस जगह को गंगाजल और गौमूत्र का छिड़काव कर पवित्र कर लें। इसके बाद देवी स्थापना करें। कहा कि देवी आराधना के नौ जरूरी हिस्से होते हैं। जिनमें कलश स्थापना, देवी की चौकी बैठाना, पूजा करना और अखंड दीपक जलाना, दुर्गा सप्तशती पाठ, व्रत-उपवास, हवन, कन्या पूजन, ब्राह्मण भोजन और आखिरी में क्षमा प्रार्थना होती है। देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा में अलग-अलग प्रसाद चढ़ता है। इसलिए इनके लिए गाय का घी, शक्कर, शहद, तिल, गुड़, सेब, अनार, केला, नाशपाती, अंगूर, चीकू, अमरूद और नारियल की व्यवस्था करनी चाहिए। नवरात्र के दौरान सात्विक भोजन, साफ़ सफाई, देवी आराधना, भजन-कीर्तन, जगराता, देवी आरती और मंत्रों आदि का जाप करना चाहिए। इस दौरान तामसिक चाजों का प्रयोग न करें। बता दें, इस बार नगर में आधा सैकड़ा स्थानों पर एवं ग्रामीण क्षेत्र में 13 स्थानों पर देवी पांडाल सजाए जा रहे हैं। देवी पांडालों में देवी प्रतिमाओं की स्थापना के लिए तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। नगर के ऐतिहासिक देवी मंदिर छोटी माता, बड़ी माता, छठी माता, कांमाख्या देवी आदि मंदिरों में साफ-सफाई व सजावट कर ली गई है। आज विधि विधान से देवी पांडालों में देवी मूर्तियों की स्थापना की जाएगी।

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