(रिपोर्ट – बबलू सेंगर)

Jalaun news today । बीते 23 वर्षों से काम न मिलने के कारण सीजनल संग्रह अमीन घर पर बैठे हैं। काम न मिलने से सीजनल संग्रह अमीनों के परिवार भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं। नौकरी से बंचित सीजनल संग्रह अमीनों ने उपजिलाधिकारी को प्रत्यावेदन देकर सी आर ए की हठधर्मिता की शिकायत की है।
राजस्व विभाग ने राजस्व वसूली के लिए 1989 में सीजनल अमीनों की नियुक्ति की थी। इन अमीनों ने मेहनत करके सरकार का राजस्व वसूल कर खजाने को भरा था। सरकार ने अधिकांश सीजनल अमीनों को स्थाई कर दिया है। किंतु तहसील में अभी भी आधा दर्जन से अधिक सीजनल अमीन ऐसे हैं, जिन्हें अभी तक सरकार द्वारा स्थाई नियुक्त नहीं दी गई है। स्थाई नियुक्ति न होने व अन्य कोई काम न होने के चलते सरकारी अमीन रहे सीजनल अमीनों के परिवार आज भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं। सीजनल राजस्व संग्रह अमीनों ने आरोप लगाया कि कुछ प्रशासनिक अधिकारी शासन को गुमराह कर रहे हैं। उन्हें नौकरी से वंचित किया जा रहा है। नौकरी से वंचित होने के कारण वह भुखमरी की कगार पर पहुंच गये हैं। तहसील के सीजनल अमीन उमाकांत श्रीवास्तव, जगमोहन यादव, अखिलेश श्रीवास्तव बताते हैं कि 1989 में उन्हें सीजनल अमीन के पद पर नियुक्त किया गया था। चार फसली वसूली के साथ उन्होंने 2001 तक वसूली की थी। उनके सभी साथियों को स्थाई नियुक्त मिल चुकी है। लेकिन कर्मचारियों की भ्रष्ट कार्यप्रणाली के चलते अभी तक शेष सीजनल अमीनों को आज तक स्थाई नियुक्ति नहीं मिल पाई है। उम्र बढ़ने व अन्य कोई काम न होने के चलते उनके परिवार भुखमरी की कगार पर पहुंच गए है।
