स्थानांतरण नीति आते ही परिक्षेत्र में डेरा डाले कर्मियों में मचा हड़कंप
एक दर्जन से अधिक कर्मचारियों का प्रमोशन के बाद भी नहीं किया गया तबादला
(राकेश यादव)
UP News Today । जनपद में तीन साल और मंडल में सात साल से जमे अधिकारियों और कर्मचारियों का तबादला किया जाए। मंगलवार को यूपी कैबिनेट के बैठक में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्थानांतरण नीति को मंजूरी प्रदान करते हुए अधिकारियों को यह निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री का यह निर्देश प्रदेश के कारागार विभाग में तैनात अधिकारियों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा। विभाग में दर्जनों की संख्या में ऐसे अधिकारी और कर्मचारी तैनात हैं, जिनका प्रमोशन के बाद भी तबादला नहीं किया गया है। चर्चा है कि शासन और मुख्यालय में मजबूत पकड़ रखने वाले यह अधिकारी और कर्मचारी लंबे समय से एक ही जेल और परिक्षेत्र में जमे हुए हैं। 15-20 साल से एक ही जगह पर डेरा जमाए इन जेलकर्मियों का तबादला होगा।चर्चा है कि विभाग के आला अफसरों के लिए यह काम आसान नहीं होगा।
प्रदेश के कारागार विभाग में आला अफसरों की लापरवाही का यह आलम है कि इस विभाग में प्रमोशन के बाद भी अधिकारियों और कर्मियों के तबादले नहीं किए जाते है। ऐसा तब किया जा रहा है जब प्रमोशन के लिए जारी किए गए परिपत्र में स्पष्ट रूप से लिखा रहता है कि जल्दी ही इन्हें अन्यत्र स्थान पर स्थानांतरित किया जाएगा। मसलन लखनऊ जेल में बतौर अधीक्षक तैनात हुए वरिष्ठ अधीक्षक पद पर प्रमोशन किया गया। प्रोन्नति के बाद आजतक इनका तबादला नहीं किया गया। यह पिछले करीब साढ़े चार से अधिक समय से लखनऊ में ही जमें हुए हैं।
इसी प्रकार आगरा जेल परिक्षेत्र कार्यालय में तैनात रंजना कमलेश पिछले करीब 15-20 साल से इसी परिक्षेत्र में तैनात हैं। तैनाती के दौरान इन्हे तीन प्रमोशन दिए गए। प्रमोशन के परिपत्रों में जल्दी ही इन्हें अन्यत्र स्थानांतरित किया जाएगा का उल्लेख जरूर किया गया किन्तु आजतक इन्हें कहीं स्थानांतरित नहीं किया गया है। इसी प्रकार बरेली परिक्षेत्र में तैनात स्नेहा शर्मा भी लंबे समय से इसी परिक्षेत्र में जमी हुई हैं। कारागार मुख्यालय में मजबूत पकड़ होने की वजह से इन्हें भी कई प्रमोशन मिलने के बाद भी अन्यत्र स्थानांतरित नहीं किया गया है। गाजियाबाद जेल पर तैनात एक वार्डर कि शासन और कारागार मुख्यालय में इतनी मजबूत पकड़ है कि पिछले 20-25 साल से घूम फिरकर एक ही स्थान जमे इस वॉर्डर को हटाने की हिम्मत शासन और मुख्यालय के अफसर भी जुटा नहीं पा रहे है। जानकारों की माने तो इसको हटाने वाले अफसर खुद निपट गए किंतु यह आज भी वही जमा हुआ है। यह तो बानगी भर है ऐसे तमाम अधिकारी और कर्मचारी है जो लंबे समय से घूम फिरकर एक ही स्थान पर जमें हुए हैं। इन जेलकर्मियों को हटाना विभाग के अधिकारियों के किसी चुनौती से कम नहीं होगा।
लखनऊ परिक्षेत्र के प्रभारी डीआइजी की हो सकती विदाई
शासन से अनुमोदन लेने के उपरांत बीती 31 मई को कारागार मुख्यालय के मुखिया आईजी जेल पीवी रामाशास्त्री ने डीआईजी जेल मुख्यालय एके सिंह के रिटायर होने के बाद कुछ अधिकारियों के कार्यों में फेरबदल किया। इसमें लखनऊ जेल पर तैनात वरिष्ठ अधीक्षक ग्रेड वन को लखनऊ जेल परिक्षेत्र का प्रभारी डीआईजी का प्रभार सौंपा गया। पिछले करीब साढ़े चार साल से तैनात प्रभारी डीआईजी अधिकारी का तबादला होना तय माना जा रहा है। विभाग में चर्चा है कि कमाऊ जेल से और अधिक कमाई वाली जेल पर तैनाती कराए जाने की जुगत में लगे हुए है।
प्रमुख सचिव/डीजी जेल नहीं उठाते फोन
लखनऊ। प्रदेश की जेलों में लंबे समय से जमे जेल अधिकारियों और कर्मचारियों के तबादलों के संबंध में जब प्रमुख सचिव/ महानिदेशक कारागार राजेश कुमार सिंह से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उनका फोन नहीं उठा। प्रमुख सचिव के निजी सचिव विनय सिंह ने इस मामले पर कोई भी टिप्पणी करने से मना कर दिया। उधर प्रदेश के कारागार मंत्री दारा सिंह सिंह चौहान ने स्थानांतरण नीति के निर्देशों को देखते हुए तबादले किए जाएंगे। लंबे समय से जमे लोगों को हटाया जाएगा।