Jalaun news today । जालौन नगर के रामलीला भवन में संचालित 176वें श्रीरामलीला महोत्सव में पहले दिन नारद मोह की लीला का कुशल मंचन किया गया। जिसमें नारदजी की तपस्या को भंग करने के लिए इन्द्र कामदेव को भेजते हैं पर कामदेव नारदजी की तपस्या की भंग नही कर पाते तब वह नारदजी की शरण में जाकर माफी मांगते हैं।
कामदेव के माफी मांगने से नारदजी को अभिमान हो जाता है। वह अपनी कहानी सुनाने ब्रह्मजी व शंकर जी के पास जाते हैं तो उन्हें सीख दी जाती कि वे यहां आए तो ठीक पर भगवान विष्णु के पास न जाएं। लेकिन गर्व से गर्वित नारद जी कहां मानने वाले थे। वह क्षीरसागर में भगवान विष्णु के पास पहुंच गए और भगवान विष्णु को अपनी कथा सुनाने लगे। जिसको सुनकर भगवान विष्णु ने माया को बुलाया और नारद को सही मार्ग पर लाने का आदेश दिया। नारदजी माया के मोहपाश में फंस जाते हैं। जब उन्हें इसका अहसास होता है तब वह भगवान विष्णु को नारी के वियोग में वन वन भटकने का शाप दे बैठते हैं। इसके अलावा रावण अत्याचार की लीला का भी प्रदर्शन किया गया। रामलीला मंचन में लोगों को जहां हास्य कलाकार बबलू दीवाना ने गुदगुदाया तो तितलीरानी, मनुरानी व साहिल ने नृत्यकला से लोगों का मनोरंजन किया। रामलीला मंचन में नारद की भूमिका में उमेश दुबे, विष्णु रामदूत तिवारी, लक्ष्मी श्याम जादौन, शंकर बबलू दीवाना, ब्रम्हा प्रयाग गुरू, कामदेव गणेश दुबे एवं रावण की भूमिका प्रहलाद आचार्य ने निभाई। लीला के दौरान शशिकांत द्विवेदी, राजा सेंगर, मंगल चतुर्वेदी, पवन कुमार, राज कुमार मिझौना आदि मौजूद रहे।