Jalaun news today । ज्येष्ठ मास की अमावस्या को मनाए जाने वाले वट सावित्री पूजा अथवा बरगदाई पूजा में महिलाओं ने बरगद के पेड़ों पर धागा बांधकर पति की लंबी उम्र की कामना की।
हिंदू धर्म में प्रकृति के संरक्षण और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का महत्व है। इसके लिए प्राकृतिक तत्वों की पूजा करने की भी पंरपरा है। इसी क्रम में वृक्षों की पूजा का भी विशेष विधान है, माना जाता है वृक्षों में देवताओं का वास होता है। ऐसी ही एक वृक्ष वट वृक्ष या बरगद का पेड़ का है। जिसमें त्रिदेवों ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास माना जाता है। विशाल और दीर्घजीवी होने के कारण वट वृक्ष की पूजा पत्नी अपने पति की लंबी आयु के लिए करती हैं। गुरूवार को ज्येष्ठ मास की अमावस्या पर वट सावित्री या बरगदायी की पूजा में महिलाओं ने बरगद के पेड़ की ही पूजा कर पति की लंबी उम्र की कामना की।
पंडित देवेंद्र दीक्षित ने बताया कि इस दिन सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण वापस लौटाने के लिए यमराज को भी विवश कर दिया था। बरगद के पेड़ के नीचे ही सावित्री ने अपने पति सत्यावान को पुनर्जीवित कराया था। तब से सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए वट सावित्री के दिन बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। इस व्रत के दिन सत्यवान-सावित्री कथा को भी पढ़ा या सुना जाता है। महिलाओं ने वट सावित्री पूजा में धूप और घी का दीप जलाकर, लाल कलावा, सुहाग का समान, कच्चा सूत, चना आदि को बरगद पर चढ़कार उसके तने के चारों ओर 108 बार धागे को बांधकर पति की लंबी उम्र की कामना की। वट वृक्ष की पूजा नगर व ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं ने उत्साह के साथ की।