Search
Close this search box.
Search
Close this search box.

ऑस्ट्रिया के चांसलर ने की पीएम मोदी के सामने भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की तारीफ,,

एक खबर ऑस्ट्रिया से मीडिया के प्रकाश में आई है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ऑस्ट्रिया दौरे पर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ प्रेस को एक बयान देते हुए ऑस्ट्रिया के चांसलर नेहमर ने 1950 के दशक में शुरू हुए भारत और ऑस्ट्रिया के बीच विश्वास के रिश्ते के बारे में बोलते हुए नेहरू की भूमिका का उल्लेख किया।
प्रभासाक्षी की रिपोर्ट के अनुसार ऑस्ट्रिया के चांसलर कार्ल नेहमर ने पीएम मोदी के सामने भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की तारीफ कर दी।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 1955 में ऑस्ट्रिया को एक तटस्थ और स्वतंत्र देश के रूप में उभरने में मदद करने वाली जटिल वार्ताओं में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की भूमिका का जिक्र चांसलर कार्ल नेहमर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुई बैठक में किया। हालाँकि द्वितीय विश्व युद्ध के अंत तक ऑस्ट्रिया में एक अस्थायी सरकार थी, लेकिन 1945 में नाजी जर्मनी की हार के बाद, इस पर फ्रांस, सोवियत संघ, ब्रिटेन और अमेरिका या तथाकथित मित्र शक्तियों ने कब्जा कर लिया। मई 1955 में ऑस्ट्रिया को स्वतंत्रता देने और कब्जे वाली सेनाओं की वापसी को सुविधाजनक बनाने के लिए एक संधि पर हस्ताक्षर किए। प्रभासाक्षी की रिपोर्ट के अनुसार पीएम मोदी के साथ प्रेस को एक बयान देते हुए नेहमर ने 1950 के दशक में शुरू हुए भारत और ऑस्ट्रिया के बीच विश्वास के रिश्ते के बारे में बोलते हुए नेहरू की भूमिका का उल्लेख किया। नेहमर ने जर्मन भाषा में बोलते हुए कहा कि जब शांति वार्ता लाने की बात आई, जिसके परिणामस्वरूप (ऑस्ट्रियाई) राज्य संधि हुई, तो ऑस्ट्रिया के लिए भारत एक महत्वपूर्ण भागीदार और समर्थक था। संधि से पहले हुई बातचीत के संदर्भ में उन्होंने कहा कि 1953 में गतिरोध था, स्थिति कठिन थी। सोवियत संघ के साथ प्रगति करना कठिन था, और यह विदेश मंत्री [कार्ल] ग्रुबर थे जिन्होंने प्रधान मंत्री नेहरू से संपर्क किया… बातचीत को सकारात्मक निष्कर्ष पर लाने के लिए समर्थन मांगा।
उन्होंने आगे कहा कि ऐसा ही हुआ भारत ने ऑस्ट्रिया की मदद की और 1955 में ऑस्ट्रियाई राज्य संधि के साथ बातचीत सकारात्मक निष्कर्ष पर पहुंची। सार्वजनिक किए गए अमेरिकी राजनयिक केबल और ग्रुबर के संस्मरण “ए पॉलिटिकल लाइफ: ऑस्ट्रियाज जर्नी बिटवीन डिक्टेटरशिप्स” सहित कई ऐतिहासिक दस्तावेजों और लेखों में ऑस्ट्रियाई पक्ष द्वारा संपर्क किए जाने के बाद सोवियत नेतृत्व को संदेश देने में नेहरू की भूमिका को रेखांकित किया गया है। उन्होंने आगे कहा कि ऐसा ही हुआ भारत ने ऑस्ट्रिया की मदद की और 1955 में ऑस्ट्रियाई राज्य संधि के साथ बातचीत सकारात्मक निष्कर्ष पर पहुंची। सार्वजनिक किए गए अमेरिकी राजनयिक केबल और ग्रुबर के संस्मरण “ए पॉलिटिकल लाइफ: ऑस्ट्रियाज जर्नी बिटवीन डिक्टेटरशिप्स” सहित कई ऐतिहासिक दस्तावेजों और लेखों में ऑस्ट्रियाई पक्ष द्वारा संपर्क किए जाने के बाद सोवियत नेतृत्व को संदेश देने में नेहरू की भूमिका को रेखांकित किया गया है। ( साभार प्रभासाक्षी)

Leave a Comment