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जालौन नगर में चल रही भागवत कथा में भागवताचार्य ने सुनाया ये सुंदर प्रसंग,,

Bhagwatcharya narrated this beautiful incident in the Bhagwat Katha going on in Jalaun Nagar,

(रिपोर्ट – बबलू सेंगर)

Jalaun news today । सभी भक्त भागवत को अपने जीवन में उतारें ताकि लोग धर्म की ओर अग्रसर हो। भगवान श्रीकृष्ण ने सुदामा चरित्र के माध्यम से भक्तों के सामने दोस्ती की मिसाल पेश की और समाज में समानता का संदेश दिया। यह बात श्रीवीर बालाजी हनुमान मंदिर पर आयोजित साप्ताहिक भागवत कथा व नवकुंडीय श्रीसीतारात महायज्ञ के समापन पर कथ व्यास ने कही।
पेट्रोल टैंक स्थित श्रीमद् भागवत कथा व नवकुंडीय श्रीसीताराम महायज्ञ के अंतिम दिन कथा व्यास पंडित आशीष कृष्ण शास्त्री ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा का सात दिनों तक श्रवण करने से जीव का उद्धार हो जाता है। सुदामा चरित का वर्णन करते हुए कहा कि गरीब ब्राह्मण सुदामा अपनी पत्नी सुशीला के कहने पर ना चाहते हुए भी द्वारिका जाने को तैयार होते हैं। सुदामा को कृष्ण से मिलने से द्वारपाल रोकता है। लेकिन जब द्वारपाल श्रीकृष्ण को गरीब ब्राह्मण के द्वार पर खड़े होने की सूचना देता है तो वह व्याकुल होकर नंगे पैर ही उनसे मिलने के लिए द्वारा पर पहुंच जाते हैं और वहां से लाकर उन्हें सिंहासन पर बैठाते हैं। बिना मांगे ही उन्हें धन्य धान्य से परिपूर्ण कर दिया। कथा व्यास ने सुदामा चरित्र का वर्णन अत्यंत मार्मिक और भावपूर्ण ढंग से किया जिससे उपस्थित श्रद्धालु भावुक हो गए। कहा कि धार्मिक आयोजनों से व्यक्ति में धार्मिक आस्था जागृत होती है। दुर्गुणों की बजाय सद्गुणों के द्वार खुलते हैं। श्रीमद् भागवत संपूर्ण सिद्धांतों का निष्कर्ष है। भागवत कथा को सुनने से जन्म-मृत्यु के भय का नाश होता है। मन की शुद्धि के लिए श्रीमद् भागवत से बढ़कर कोई साधन नहीं है। भक्ति, ज्ञान, वैराग्य तथा से त्याग की प्राप्ति होती।

भागवत सुनते भक्तगण

यज्ञाचार्य शैलेंद्रचंद्र शास्त्री ने यज्ञ स्थल पर विधि-विधान से आहूति दिलाई। इस मौके पर मंदिर के पुजारी व पारीक्षित कमलेश महाराज, पुष्पा पटेल, अंजनी श्रीवास्तव, प्रेमनरायण शर्मा, किशोरी देवी, निखिल अग्रवाल, राजकुमार विश्नोई, आलोक शर्मा, देवेंद्र प्रजापति, कुमुद कुमारी, प्रदीप, यदुनाथ, यखिल पटेल, ब्रजेश, कुलदीप, संदीप, राजेंद्र, शिरोमणि, बलदेव, मंजरी, प्रीति, आदि भागवत प्रेमियों ने आस्था के साथ कथा को सुनकर जीवन में अच्छे कर्मों को अपनाने की प्रेरणा ली।

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