
(वरिष्ठ पत्रकार सुरेश बहादुर सिंह की कलम से)
इस देश में फिर से चंद्रशेखर पैदा होना सम्भव नही है, लेकिन प्रदेश में एक ऐसा राजनेता है जो पूर्व प्रधानमंत्री स्व चंद्रशेखर के सिद्धांतों एवम विचारों को देश में प्रचारित और प्रसारित कर रहा है,वह राजनेता हैं प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री एवं पूर्व विधान परिषद सदस्य यशवंत सिंह।

आज श्री सिंह का जन्मदिन हैं, वैसे जन्मदिन मनाने में उनका कोई विश्वास नही है लेकिन अपने सहयोगियों,प्रशंसकों और समर्थकों के दबाव में वह अपना जन्मदिन भी स्वर्गीय शेखर को समर्पित कर देते हैं। श्री सिंह अपना जन्मदिन की शुरुआत चंद्रशेखर ट्रस्ट में पूर्व प्रधानमंत्री के चित्र पर माल्यार्पण करके करते हैं और अपने समर्थकों को उनके आदर्शों और उनके पदचिन्हों पर चलने की कसम दिलाते हैं।
यशवंत के लिए उम्र कोई मायने नही रखती। वह चिर युवा है और जोशोखारोस से भरे रहते हैं। सुबह 7 बजे रोज दारुलशफा में चंद्रशेखर चबूतरे पर बैठने से ही उनकी दिनचर्या के शुरुआत होती है। प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए लोगों से वह वहीं मिलते है और जितना सम्भव हो सकता है, उनकी समस्याओं का समाधान करते हैं।

यशवंत ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में की थी, हालाकि यह बात दीगर है कि उन्होने पीछे मुड़ कर नही देखा और राजनीति में सफलता की सीढियां चढ़ते गए, हालाकि छात्र जीवन से ही उनका रुझान राजनीति की तरफ था।गोरखपुर और लखनऊ छात्रसंघ के अध्यक्ष स्व रविंद्र सिंह के साथ ही उन्होने छात्र राजनीति की शुरुआत की थी। आपातकाल में वह जेल में भी रहे। जेल से बाहर आने के बाद वह चंद्रशेखर जी के काफ़ी करीब हो गए और उन्हीं के विचारों,सिद्धांतों और आदर्शों से प्रभावित हो राजनीतिक जीवन की शुरुआत की।

श्री सिंह बीएसपी, सपा और भाजपा सहित सभी दलों का विधान सभा और विधान परिषद में प्रतिनिधित्व किया। वह जिस भी दल में रहे, उन दलों के नेताओं के प्रति उनकी निष्ठा कभी भी संदिग्ध नही रही।उन्होंने पार्टी नेतृत्व को सदैव ही पूरा सम्मान दिया लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री स्व चंद्रशेखर को ही अपना नेता माना और आज भी अपना पूरा समय स्व चंद्रशेखर के सिद्धांतों और विचारों को पूरे देश में प्रचारित, प्रसारित कर रहें है।
यशवंत दोस्तों के दोस्त है। महफिलें सजाने का उन्हें बहुत शौक है। विभिन्न राजनीतिक विचारधारा वाले नेताओं से भी उनकी अच्छी मित्रता है। राजनीतिक विचारधारा का असर वह व्यक्तिगत संबंधों पर कभी भी पड़ने देते है,इसलिए स्व चंद्रशेखर की तरह हर राजनीतिक दलों में उनके मित्र हैं।
यशवंत भाई की राजनीति और मेरी पत्रकारिता की शुरुआत लगभग एक साथ ही हुई थी। मैने इनकी राजनीति को बहुत करीब से देखा है। एक साधारण परिवार का व्यक्ति राजनीति में इतनी ऊंचाई पर कैसे पहुंच सकता है, यह कोई यशवंत से सीखे। उनकी लोकप्रियता अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होने अपने एकमात्र पुत्र को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में विधान परिषद सदस्य का चुनाव जितवा कर अपनी लोकप्रियता का लोहा मनवा दिया।
यशवंत भाई के बारे में बहुत लिखा जा सकता है, क्योंकि 40 वर्षों के संबंधों को कुछ शब्दों में नही समेटा जा सकता। आपको जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई यशवंत भाई। इतने वर्षों से जिस उत्साह,जोश और लगन के साथ जनता के सेवा करते रहें हैं, उसको आगे भी जारी रखिएगा क्योंकि आपको अभी बहुत आगे जाना है।
