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दूरसंचार कंपनियों द्वारा शुल्क दर में बढ़ोतरी किए जाने पर कांग्रेस ने उठाए सवाल ,,प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कही यह बात

मोदी सरकार की सहमति से दूरसंचार कंपनियों ने जनता पर 34,824 करोड़ रू का बोझ डाला- सुरजेवाला

New Delhi News । कांग्रेस ने देश की तीन प्रमुख दूरसंचार कंपनियों द्वारा शुल्क दर में बढ़ोतरी किए जाने को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है। शुक्रवार को नई दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकार वार्ता करते हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि तीन जुलाई, 2024 से इस देश में सेल फोन की दरें बढ़ा दी गईं। देश के 109 करोड़ सेल फोन यूजर्स रिलायंस जियो, एयरटेल और वोडाफोन का सेल फोन इस्तेमाल करते हैं। मोदी सरकार ने इन 109 करोड़ सेल फोन यूजर्स पर सालाना 34,824 करोड़ रुपये का बोझ डाल दिया है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि यह मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का का नया प्रसाद है।
श्री सुरजेवाला ने कहा कि हिंदुस्तान के सेल फोन मार्केट में मुख्य तौर पर तीन सेल फोन ऑपरेटर हैं। रिलांयस जियो के 48 करोड़ यूजर्स, एयरटेल के 39 करोड़ यूजर्स और वोडाफोन आइडिया के 22 करोड़ 37 लाख यूजर्स हैं। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण यानी ट्राई की एक रिपोर्ट के अनुसार सेल फोन कंपनियां अपने हर सेल फोन ग्राहक से 152.55 रूपये प्रति माह कमाती हैं। 27 जून को रिलायंस जियो ने अपने रेट 12 प्रतिशत से 27 प्रतिशत तक बढ़ा दिए। 28 जून को एयरटेल ने अपने रेट 11 प्रतिशत से 21 प्रतिशत बढ़ा दिए। 29 जून को वोडाफोन आइडिया ने भी अपने रेट 10 प्रतिशत से 24 प्रतिशत बढ़ा दिए। साफ है कि तीनों कंपनियों ने सलाह कर सिर्फ 72 घंटे में सेलफोन शुल्क बढ़ाने की घोषणा की।
उन्होंने कहा कि अगर हम सेल फोन कंपनियों का औसत शुल्क देखें तो पता चलेगा कि रिलायंस जियो के हर यूजर पर 30.51 रुपये प्रति माह की बढ़त हुई है, यानी 17,568 करोड़ रुपये सालाना। एयरटेल के हर ग्राहक पर 22.88 रुपये मासिक की बढ़त हुई है, यानी 10,704 करोड़ रुपये सालाना। वोडाफोन आइडिया के हर यूजर पर 24.40 रुपये प्रति माह की बढ़त हुई है, यानी 6,552 करोड़ रुपये सालाना है। सुरजेवाला ने सवाल किए कि क्या मोदी सरकार ने 109 करोड़ सेलफोन यूजर्स पर लगभग 35 हजार करोड़ रुपये का बोझ डालने से पहले कोई जांच की। क्या मोदी सरकार ने नीलामी के माध्यम से स्पेक्ट्रम की खरीद से होने वाले असर का कोई अध्ययन किया। क्या मोदी सरकार ने एडजेस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू पर दी गई पिछली रियायतों का क्या असर होगा, इसका अध्ययन किया। ऐसा कैसे हो सकता है कि सभी सेल फोन कंपनियां अपना टैरिफ 15-20 प्रतिशत बढ़ा दें, जबकि उनका इंवेस्टमेंट, कस्टमर बेस आदि सब अलग है। क्या ये सच नहीं कि सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार और ट्राई को निष्क्रिय ट्रस्टी की तरह नहीं, जनता के कल्याण लिए सक्रिय ट्रस्टी की तरह काम करने को कहा था।

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