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कहानी एक जुनूनी युवक की,जिसने कर्म करके लिखी अपनी किस्मत, पढ़िये पूरी कहानी कैसे सफल बना अपनों का सताया युवा

The story of a passionate young man, who wrote his destiny by doing hard work, read the full story. How the youth who was tormented by his own people became successful, who has become a successful businessman today.

कौन कहता है आसमान में सुराख नहीं होता।
एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो।।

किसी मशहूर शायर द्वारा कही गई है मोटिवेशनल पंक्तियां राजधानी लखनऊ के एक ऐसे युवक के ऊपर बिल्कुल सटीक बैठती है जो झारखंड से बड़े अधिकारी बनने का सपना लेकर देश की राजधानी दिल्ली गया और वहां पर जी तोड़ मेहनत की मगर सिविल सर्विसेज में सफलता नहीं मिली तो लखनऊ में रहने वाले दोस्तों के बुलाने पर वह भी यूपी की राजधानी लखनऊ में आकर सिविल सर्विसेज की तैयारी करने लगा। मगर यहां भी उसे सफलता नहीं मिली किसी ने सच ही कहा है कि व्यक्ति को कौन सा काम करना है यह किस्मत के ऊपर निर्भर करता है, उसके साथ भी यही हुआ जब सिविल सर्विसेज में तैयारी करते-करते कहीं चयन नहीं हुआ तो उस युवक ने सोचा कि वह कुछ काम कर ले तब उसने एक प्राइवेट नौकरी ज्वाइन कर ली ताकि उसका खर्चा निकलता रहे मगर कहते हैं सिविल सर्विसेज की तैयारी करने वाला व्यक्ति बहुत ही ऊर्जावान और जुनूनी होता है। यही बात इस युवक में भी थी उसको यह छोटा से काम में आदेश दूसरे लोग दे रहे थे और मजबूरी में वह काम कर रहा था। आपको यह जानकर हैरानी हो जाएगी कि उस युवक ने जब राजधानी लखनऊ में अपना खुद का बिजनेस चलाने की सोची तो गैर तो गैर उसके अपने ही वह सगे उससे हीन भावना पूर्वक व्यवहार करने लगे ताकि वह डिप्रेशन में आकर लखनऊ छोड़कर वापस झारखंड आ जाए मगर सफल व्यक्ति बनने के लिए जुनून लिए हुए उस युवक ने हार नहीं मानी।
और आज आलम यह है कि वह व्यक्ति यूपी की राजधानी लखनऊ का एक प्रतिष्ठित चश्मा व्यापारी है और इतना प्रतिष्ठित है कि साल में कम से कम दो बार वह विदेश यात्रा पर जाता है य ये कहें कि जाता नहीं बल्कि उसको पुरस्कार देने के लिए विदेश में बुलाया जाता है । जी हां मैं बात कर रहा हूं राजधानी लखनऊ के प्रतिष्ठित फर्म ट्यूलिप आईवियर के मालिक मुकेश महाराज की जिनको हाल ही में इंग्लैंड में चश्मा की उच्च गुणवत्ता के लिए पुरस्कार मिला है। उनसे विशेष बातचीत में उन्होंने अपनी सफलता की कहानी बताई ! पढिये पूरी बात

झारखंड के रहने वाले हैं मुकेश

ट्यूलिप आईवियर के मालिक मुकेश महाराज ने बताया कि वह मूलतः झारखंड के रहने वाले हैं। और वह पढ़ने में काफी अच्छे थे और इसी कारण उन्होंने आईएएस व आईपीएस ऑफिसर बनने के लिए सिविल सर्विसेज की तैयारी करना पहले अपने गृह जनपद से ही शुरू किया बाद में कुछ लोगों ने सलाह दी तो वह दिल्ली के मुखर्जी नगर में जाकर तैयारी करने लगे। मुकेश महाराज ने बताया कि वह कई बार आईएएस की प्रतियोगी परीक्षा में शामिल हुए मगर उन्हें सफलता नहीं मिली। उन्होंने बताया कि उनके कुछ खास दोस्त लखनऊ के रहने वाले थे जो परीक्षा में सफल नहीं हुए तो वह लखनऊ आकर तैयारी करने लगे इन्ही दोस्तों ने उनको भी लखनऊ में अच्छे माहौल व कोचिंग होने की बात कहते हुए उनसे भी लखनऊ में रहकर तैयारी करने की बात कही। उन्होंने बताया कि उन दोस्तों की बात को वह मान लिए और वह भी लखनऊ आ गए और तैयारी शुरू कर दी। मुकेश ने बताया कि उनके तमाम कोशिशों के बाद भी जब उनका सिलेक्शन नहीं हुआ तो वह तो मानसिक रूप से तनाव में थे ही मगर उनका यह तनाव उस समय और बढ़ गया जब उनको उनके अपनो ने ही उनकी मानसिक तनाव को तो नहीं समझा बल्कि एक तनाव और दे दिया वह था कि अब उनको घर से मिलने वाले पैसे भी लगभग बंद हो गए और उनके अपने उनको वापस घर आकर रहने की बात करने लगे इस पर वह और ज्यादा तनाव में आ गए।

फिर लिया ये फैसला

मुकेश महाराज बताते हैं कि जब घरवालों ने उनसे वापस आकर घर पर रहने की बात कही तो वह पहले से टूटे हुए तो थे ही इसके बाद भी उन्होंने एक नया फैसला लिया और वह फैसला यह था कि उन्होंने लखनऊ में ही काम करना शुरू कर दिया। मुकेश महाराज ने बताया कि उन्होंने एक प्राइवेट दुकान पर काम करना शुरू किया और वह दुकान थी चश्मे की दुकान । इस पर उन्होंने जी तोड़ मेहनत की मगर उन्हें उनकी मेहनत का पूरा फल नहीं मिल रहा था। इसके बाद उन्होंने अपना खुद का काम करने की सोची मगर वह इस काम को बिना पैसे के तो नहीं कर सकते थे। मुकेश महाराज ने बताया कि इसके बाद उन्होंने घर पहुंच कर अपनी पूरी बात परिवार वालों को बताई । मुकेश महाराज ने बताया कि उनके अपने लोग उनकी बात को पूरी तरह नहीं समझ सके तब उन्होंने पूरी बात माँ को बताई और मां ने उन्हें अपना काम करने का आशीर्वाद भी दे दिया और साथ में काम करने के लिए पैसे भी उधार के रूप में उनको मिल गए। मां के द्वारा मिले उधार ही सही रुपए को लेकर मुकेश महाराज लखनऊ में आ गए।

एफडी तोड़कर माँ ने दिए पैसे

मुकेश महाराज बताते हैं कि उनकी मां ने उनको एफडी तोड़कर अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए पैसे दिए और मां का आशीर्वाद ऐसा मिला कि उन्होंने लखनऊ के कैसरबाग में एक छोटी सी चश्मे की दुकान खोली फिर उन्होंने इतनी जी तोड़ मेहनत और बिजनेस के तरीके को अपनाकर दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करना शुरू कर दिया । आज आलम यह है कि कैसरबाग में छोटी सी दुकान से शुरू हुआ उनका बिजनेस का यह सफर काफी विस्तार ले चुका है और लखनऊ के कैसरबाग क्षेत्र में ही उनकी तीन चश्मे की बड़ी दुकान हैं इसके अलावा गोमती नगर समेत कई जगहों पर भी उनके ट्यूलिप के नाम से चश्मा के शोरूम है।

इंग्लैंड में मिला उच्च गुणवत्ता का पुरस्कार

मुकेश महाराज ने बताया कि उनकी चश्मे के व्यवसाय में कई जगहों पर उच्च गुणवत्ता के लिए अपने देश में तो सम्मान मिला ही है । इसके अलावा अभी 2 महीने पूर्व ही ब्रिटेन के इंग्लैंड में दैनिक जागरण समूह द्वारा भी उनको चश्मे की उच्च गुणवत्ता के मामले में पुरस्कार दिया गया है।

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