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कालपी क्षेत्र के ग्रामीण कई सालों से विधायक, सांसद, जिला पंचायत अध्यक्ष से लगायी गुहार फिर भी नहीं बनी पक्की सड़क,,

तीन किमी सड़क के अभाव में तीन गुना अधिक दूरी तय करने को विवश होते नरहान गांव के ग्रामीण

समस्याओं से परेशान अनेकों ग्रामीण अब तक गांव से कर चुके पलायन

( ब्यूरो रिपोर्ट )

Jalaun / Kalpi news today । जालौन जनपद के कालपी कस्बे से मात्र तीन किलोमीटर सड़क न होने से आधा दर्जन ग्रामों के ग्रामीण कालपी मुख्यालय आने के लिए तीन गुना दूरी तय करते हैं साथ ही गल्ला आदि फसल बेंचने कालपी लाने के लिए तीन गुना भाड़ा देने को मजबूर हैं।
यह खबर कोई नई नहीं है एक सैकड़ा से अधिक बार विभिन्न समाचार पत्रों में छप चुकी है। बताया जा रहा है कि तीन किलोमीटर की सड़क के लिए यहां के ग्रामीणों ने हर दर पर निवेदन किया चाहें सांसद, विधायक जिला पंचायत अध्यक्ष हो या ब्लाक प्रमुख इसके अलवा तमाम अधिकारियों की चोखट पर भी माथा रगड़ा पर वर्षो से चल रही इनकी मांग आज तक पूरी नहीं हुई। अब आपको बताते यह सड़क का छोटा सा टुकड़ा कहां बनना है और इसके बनने से किन किन ग्रामों के किसानों को फायदा होगा। यह सड़क का टुकड़ा तहसील मुख्यालय कालपी से मात्र 10 किलोमीटर की दूरी पर महेवा विकास खण्ड के ग्राम नरहान का है जो सड़क से मात्र तीन किलोमीटर दूर है। चूंकि पड़री ग्राम तक पक्की सड़क है यदि इसे नरहान 2 किलोमीटर और उरकरा कला, 1 किलोमीटर जोड़ दिया जाये तो नरहान, उरकरा कला, दहेलखण्ड, सिम्हरा, शेखपुर, निपनियां तक के ग्रामीण सीधे कालपी मुख्यालय से जुड़ जायेंगे और इन गावों के किसानों को भी विकसित भारत का एहसास होगा।

गांव की ज्यादातर जमीन असिंचित, भगवान भरोसे होती फसलें

इस सम्बंध में ग्राम नरहान के ग्रामीणों का कहना है कि दो किलोमीटर सड़क बन जाये और दो ट्यूबैल मिल जायें तो हमारे बच्चे जो परदेश में पड़े है घर वापस आ जायेंगे और लगभग एक हजार की आबादी और चार सैकड़ा वोटरों वाला ग्राम नरहान उजड़ने से बच जायेगा सड़क और पांच-छह सौ एकड़ भूमि असिंचित होने के चलते आधे से अधिक ग्रामीण पलायन कर चुके है। जो नजदीकी कस्बों में बड़े शहरों में बस कर मेहनत मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण करने को मजबूर हैं। सिंचाई के साधन न होने से यहां वषर् में एक ही फसल हो पाती है जिसके चलते यहां का किसान बैंक और साहूकारों के कजर् से आकंठ तक डूबा है खेती से खाने भर तक अन्न की पैदावार नहीं होती कजर् तो छोड़ो उसका ब्याज भी नहीं भर पा रा है। यहां के किसानों का कृषि कायर् से मोह भंग हो गया है और घर बार छोड़कर मजबूरन पलायन कर चुके हैं। शासन प्रशासन से एक बार इन ग्रामीणों ने निवेदन किया है कि हम भी विकसित भारत में रहते है पर विकास से कोसों दूर हैं सिफर् सड़क और दो नलकूप दे दें तो हम लोगों के बच्चे जो घर द्वार छोड़कर परदेश में पड़े हैं वो वापस घर आ जायेंगे।

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