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एमपी के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने प्रेस के सामने भाजपा पर किया करारा प्रहार, कही ये बात

Lucknow news today । उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आज प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह- सांसद ने प्रेसवार्ता को सम्बोधित किया।
श्री सिंह ने प्रेसवार्ता को सम्बोधित करते हुए कहा कि भूमि अधिग्रहण बिल को कमजोर करने की 2014 में पहला संशोधन नरेन्द्र मोदी जी लाये जो भूमि अधिग्रहण बिल को कमजोर कर दिया और राज्यों को अधिकार दे दिया। देश में 2024 को लोकसभा चुनाव पूर्व के चुनाव से भिन्न है, क्योंकि लोकसभा चुनाव में भारतीय संविधान या लोकतंत्र पर कहीं किसी काई शंका नहीं थी कि इसके स्वरूप को भी परिवर्तित किया जा सकता है, लेकिन जिस प्राकर से भारतीय जनता पार्टी के नेताओं और स्वयं प्रधानमंत्री 400 पार की घोषणा कर रहे हैं और जिस प्रकार से भाजपा के कई सांसद नेताओं ने संविधान को बदलने की जो मंशा जताई है वह अपने आप में संकेत देती है कि आखिर में 400 पार की आवश्कता क्यों पड़ी।

उन्होंने कहा कि भाजपा का देश में नया भारतीय संविधान लाने का कुटिल प्रयास है। क्योंकि सन 1950 से आर.एस.एस. ने भारतीय संविधान को पूर्ण स्वीकार नहीं किया है, और आज भी स्वयं मोहन भागवत का बयान देखेंगे तो उन्होंने आरक्षण के मामले पर कई बार प्रश्नचिन्ह लगाया है। आज जो देश के हालात हैं तो उनका प्रमुख मुद्दा तो यही है। हमने संविधान को पास करके संसदीय प्रणाली को अपनाया और संसदीय प्रणाली अपनाने के बाद सरकार बनने के बाद जो वह नियम और कानून बनाती हैं उसमें वह परिलक्षित होती है। यदि आप देखेंगे तो 2014 में पहला ऑर्डिनेंस नरेन्द्र मोदी जी जो लाए वह भूमि अधिग्रहण अधिनियम को समाप्त करने का था कांग्रेस के विरोध के बाद नहीं ला पायी। लेकिन उसका जो मूल्य उद्देश्य था कि ग्रामीण क्षेत्र में सर्किल रेट से चौगुनी तथा शहरी क्षेत्र में दोगुनी कीमत दी जायेगी। उसको उन्होंने कमजोर करके राज्यों को अधिकार दे दिया। पहला हक उन्होंने किसान का ही छीना उसके बाद यदि आप 2019 के बाद देखें तो वह किसानों के खिलाफ तीन काले कृषि कानून लाये जो किसान और किसान की उपज को कॉर्पोरेट को सौंपने का कुटिल प्रयास था। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि मैं हरियाण, पंजाब तथा इस देश के किसान संगठनों को बधाई देना चाहता हूँ कि उन्होंने उनके इस कुटिल प्रयास को सफल नहीं होने दिया, अन्तोगत्वा उन्हें वापस लेना पड़। इसी प्रकार मजदूरों के संरक्षण के लिये क्या कानून होने चाहिए उस पर वर्ष प्रति वर्ष चर्चा होती है, मगर पिछले दस सालों में सिर्फ एक बार ही इस पर कांन्फ्रेस हुई है। उसके बाद बिना चर्चा करे 44 मजदूर हितैषी कानूनों को बिना चर्चा किए समाप्त करके उसे चार कोड में विभाजित कर दिया जबकि सारी ट्रेड यूनियन ने उसका विरोध किया। उसके बावजूद भी उन्होंने मजदूरों का हक छीना।उन्होंने कहा कि एक तरफ गांधी नेहरू और लोहिया की विचारधारा है जो मूल रूप से किसान मजदूर छोटा एवं मध्यम व्यापारी, छोटा, मध्यम वर्गीय उद्योग के लिए रही है, और उसी के आधार पर अनेक कानून बने जमींदारी उन्मूलन अधिनियम तक। जो मेहनतकश किसान जो खेत जोतता था उसे मालिकाना हक दिया गयाऔर यही एक कारण था कि इस देश में खूनी क्रांति नहीं हुई। देश में छोटे-बड़े उद्योग स्थापित किये और समय के साथ अलग अलग योजनाएं लाएं शिक्षा के क्षेत्र में, स्वास्थ्य के क्षेत्र में हर तरह से देश के विकास में योगदान दिया। श्री सिंह ने कहा कि एक जामने में लाखों लोग भूख से मर जाते थे क्योंकि देश में इतना अनाज पैदा नहीं होता था लेकिन आज हम निर्यात करने की स्थिति में हैं। मैं जानना चाहता हूं कि 10 सालों में मोदी सराकर ने कौन सा ऐसा कदम उठाया जिससे किसान या मजदूर का कोई लाभ हुआ हो। किसान सम्मान निधि के नाम पर वह समझते हैं कि उन्होंने बहुत बड़ा काम कर दिया। 6000 रूपये प्रतिवर्ष दे तो रहे हैं लेकिन खाद की कीमत बढ़ा दी जो खाद की बोरी 400 से 600 रूपये में मिलती थी आज 1200 से 1400 रूपये में मिल रही है और बोरी का वजन 50 किलो से 45 किलो, 45 किलो से 40 किलो कर कम कर दिया। वहीं डीजल का दाम भी बढ़ा दिया।

श्री सिंह ने कहा कि तत्कालीन कृषि मंत्री ने कृषि यंत्रों पर ट्रैक्टर पर जीएसटी माफ करने का प्रस्ताव सरकार को दिया लेकिन माफ नहीं किया गया लेकिन कांग्रेस पार्टी ने इस बात अपने घोषण पत्र में किया है। किसानों के लिए हमारे पास तीन योजनाएं हैं न्यून्तम समर्थन मूल्य का कानून लायेंगे, कर्जामाफी के लिए आयोग बनायेंगे और जितने भी कृषि यंत्र हैं उन पर जीएसटी माफ करेंगे। उन्होंने का कि किसान की उपज का दाम नहीं बढ़ा। तिलहन से तेल और दलहन से दाल, अनाज से आटा, तिलहन, दलहन, अनाज का भाव आज लगभग वही है। लेकिन दाल, खाने का तेल और आटा आदि उनके भावों में तीन गुने की वृद्धि हुई है। यानि किसान की मेहनत से उगाये गये अनाज का भाव नहीं बढ़ा। उन्होंने कहा कि हमारे देश में सोना खरीदा जाता है एक जमाने में 5 बोरी बेंच लेते थे तो एक तोला सोना मिल जाता था आज एक तोला सोना खरीदने के लिए किसानों को 20 से 25 कुन्तल अनाज बेचना पडेगा। यानि किसान गरीब होता जा रहा है और बड़े बड़े व्यापारी उद्योगपति अरबपति खरबपति होते जा रहे है। हमारे नेता राहुल गांधी ने कहा था कि मोदी जी की सरकार किसान और मजदूर विरोधी है, सूट बूट की सरकार है इससे बेहतर कोई वक्तव्य नहीं हो सकता था और वह सही निकला।

उन्होंने कहा कि नोटबंदी में सबसे ज्यादा किसी का नुकसान छोट, मध्यम वर्गीय उद्योगों को हुआ है। दो करोड़ से अधिक लोग बेरोजगार हो गये, कई छोट उद्यो बंद हो गये। अर्थव्यवस्था पूरी तरह से पूंजीपतियों के हाथ में चली गई। राहुल गांधी सही कहते हैं कि उन्होंने 22 परिवारों को अरबपति से खरबपति बना दिया हम करोड़ों को लखपति बना दिया। किसान और मजदूर का एक रूप्या भी कर्जा माफ नहीं हुआ उन लोगों का कर्जा माफ हुआ जो हजारों करोड़ लेकर देश से भाग गये 16 लाख करोड़ रूप्ये देश के बडे लोगों का माफ हुआ। उन्होंने कहा कि मोदी जी अगर आप 16 लाख करोड़ में से सिर्फ 1.3 लाख करोड़ किसानों का कर्जा माफ कर देते जिस प्रकार से हमने 72 हजार करोड़ माफ किया था तो  कम से कम आप यह कह पाते कि हमने किसानों का कर्जा माफ किया। लेकिन उनकी प्राथमिकता में ना तो किसान है, मजदूर है, और न ही छोटा व्यापारी है।
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा की जिसमें वह देश के किसान, मजदूर, छोटे मध्यम वर्गीय व्यापरियों से मिले उनसे चर्चा की उनकी समस्याएं सुनी और उसी के आधार पर चुनाव का घोषण पत्र तैयार किया गया ताकि गरीब, किसान, मजदूर का भविष्य बदला जा सके। 2024 में गठबंधन की सरकार बनने के बाद 4 जुलाई से गरीब महिलाओं के खाते में 8500 रूप्ये प्रतिमाह दिये जायेंगे। स्नातक पास युवाओं को आप्रेन्टिसशिप के दौरान 1 लाख रूपये सालाना दिया जायेगा। और यह गारंटी हमारे घोषणा पत्र में हस्ताक्षर के साथ दी गई है।
श्री सिंह ने कहा कि बुंदेलखंड में रोज किसान आत्महत्या कर रहे हैं हमने बुंदेलखंड के लिए पैकेज भी दिया 2011 में जातीय जनगणना हुई थी परन्तु 2021 में तय समय के अनुसार जातीय जनगणना नहीं कराई गई। जबकि गणना के आधार पर ही नीति और नियम बनाकर देश के सभी तबके के लोगों का विकास हो सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार भर्ती निकाल कर फार्म के नाम पर पैसे वसूलती है लेकिन परीक्षा से पूर्व ही पेपर लीक हो जाता है। जो युवा सेना में भर्ती होने के लिए दिन रात मेहनत करते थे आज उनकी भी आशाओं पर पानी फिर गया है। और हमारे घोषणा पत्र में उनके हितों को भी देखते हुए अग्निवीर योजना को समाप्त कर पूर्ण नौकरी का अवसर दिया जाएगा साथ ही 30 लाख केन्द्र सरकार में रिक्त पदों को भरा जायेगा, और यह भर्ती प्रक्रिया अगस्त माह से शुरू हो जायेगी।
प्रधानमंत्री ने नरेगा जैसी जनकल्याणकारी योजनाओं का विरोध कर मजदूरों के हितों की अनदेखी की। मनरेगा की वजह से ही पूर्वांचल और बुंदेलखंड से पलायन का रोका गया था, परन्तु सरकार आज उनकी भी मजदूरी नहीं दे पा रही है। हमारा वादा है कि हम सरकार में आते ही मनरेगा की मजदूरी प्रतिदिन 400 रुपये देंगे। जबकि भाजापा पिछले 10 सालों में मनरेगा मजदूरों की मजदूरी 7 रुपये   बढ़कार 237 रूपये करके उन्हें आर्थिक रूप से कमजोर बनाने का काम किया है।

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